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देश की छाती पर कब तक चढ़े रहेंगे ये मौलाना फसाद

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बेहरम साद पर रहम क्यों

तुझे जिहादाना साद कहूँ
कहूँ तूझे या मौलाना फसाद
लेकिन जानी देनी पड़ेगी तुझे दाद
तुझे रखेगा भारत का कट्टर मुसलमान हमेशा याद
क्योंकि देख रहा हूँ किस तरह
दिल्ली की पुलिस कर रही है करीब दो माह से फरियाद
और तू है कि दिल्ली पुलिस को छकाए जा रहा है नाबाद
कोरोना को देशभर में फैलाकर
मोदी-शाह से नफरत निभाने का किया तूने फंडा ईजाद
हिन्दुओं से बे-पनाह नफरत तेरी रहेगी हमको भी हमेशा याद
करके भारत को बर्बाद
तू नहीं कर सकेगा जानी कभी अपनी सल्तनत को आबाद।
हम जानते हैं तुम्हें तुम्हारी सल्तनतें आती हैं याद
हम जानते हैं तुम्हें कुतुबमीनार भड़काती है साद
हम जानते हैं तुम्हें लाल किला रात को सोने नहीं देता
हम जानते हैं ताजमहल तुम्हे खुलकर रोने नहीं देता
हम जानते हैं तुम्हारे दिल में पल रही हरियाली वाली आजादी
हम जानते हैं तुम्हारे दिल में भरी जिन्नाह वाली आजादी
हम जानते हैं तुम्हारे दिल में मचलती शरजीली तमन्नाएं
हम जानते हैं तुम्हारे दिलों में बैठे अमानुल्लाओं की ख्वाहिशें
हम जानते हैं बहुत पहले से तारिक हुसैनों की तमन्नाएं और रवायतें
पर क्या करूँ जब मेरे देश के नेता वोट के लिए बन जाते हैं मौलवी
पर क्या करूँ जब मेरे देश की नेत्रियाँ वोट के लिए बन जाती हैं मौलवियाँ
क्या करूँ जब कोई नास्तिक वोट के लिए बन जाता है हनुमान भक्त दिल्ली का बेटा
पर क्या करूँ जब सच बोलने से डर जाता है कोई रिंकिया का पापा
सच बोलने पर खलनायक बना दिया जाता है कोई कपिल मिश्रा
सच बोलने पर खलनायक करार दिया जाता है कोई मंत्री अनुराग ठाकुर
लेकिन शाहीन बाग के आगे गिड़गिड़ाता रह जाता है पूरा इन्तजामिया
सच पर पत्थर बरसाता रहता है जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया
सो तुम देश-विरोधी मौलाना सच कहें तो ‘‘जिहादाना’’ जीत रहे हो मियाँ
कट्टर मुल्ला-मौलवियों में बढ़ा रहे हो जिहाद की गर्मियाँ।
काश! मुझे कोई 24 घंटे के लिए बना दे दिल्ली का कमिश्नर
कमिश्नर नहीं तो निजामुद्दीन एरिया का बना दे पुलिस अफसर केवल
मैं इस चूहे का बिल खोदकर
इसका टेटुआ पकड़कर घसीटकर बाहर लाऊँ
फेंक दूँ सलाखों के पीछे यों इस देशद्रोही को वैसे
बाघ फेंकता है शिकार को अपने एक किनारे उछालकर जैसे
पता नहीं कितने लोग कोरोना से मर गए देश में इसकी वजह से
पता नहीं कितने संक्रमित हुए कोरोना से इसकी वजह से
इसकी बेरहमी के लिए इस पर ‘खूनी’ वाली धाराएं लगाओ
बल्कि इस पर देश को खतरे में डालने वाला मुकदमा चलाओ
अगर इस देशद्रोही को कड़ा सबक नहीं सिखाओगे
तो भावी पीढ़ियों के लिए मुसीबतें ही बढ़ाओेगे
जिन्ना ने कहा था जाते समय इन लोगों से ‘‘तुम भारत में रहकर वह करो’’
‘‘जो मैं जिहादिस्तान (पाकिस्तान) में रहकर करूँगा’’
इसलिए भारतवासियो सच को देखकर आँखें मत मूँदो
वोट की हवस में अपने ही देश की जड़ें मत रौंदो
झूठी शान्ति के लिए भावी पीढ़ियों के लिए खंदकें मत खोदो
370 के वध पर छातियाँ पीटने वालों को नज़रों से ओझल मत होने दो
तीन तलाक के जनाजे पर रोने वालों को हावी मत होने दो।

                    -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।

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