सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
शहर में चल गई लहर
मुस्काई बोली
ज़रा ठहर
देखा कांग्रेस को इक बार
भाजपा को देखा बारंबार
दिल से किया था ऐतबार
हाय! वही कहानी हर बार
अरमानों की दुखदायी हार
दिल हो गया है ज़ार-ज़ार
वही पुरानी चाल ढाल
सोच नया प्यारे तू इस बार।
शहर में चल रही लहर
मुस्का कर बोल रही
ज़रा ठहर
शहर को चमकाना है डियर
रजनी रावत को बनाना है मेयर
पल्टा दे पाँसा चढ़ा दे गियर
पल-पल बीती जाए पहर
धूम मचाएगा शहर
चलता रह तू मत ठहर
जगा दे तू पूरा शहर
चमका दे तू पूरा शहर
मायूसी पर बरपा दे कहर
एक दिन में केवल चार पहर
मत गँवा एक पल मत ठहर
गंदगी का शहर में चारों तरफ ज़हर
मैडम रजनी रावत के सपनों का सुन्दर शहर
तेरे वोट की ताकत से बनेंगी हर हाल में मैडम मेयर।
-इति