देहरादून (संवाददाता)। उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) ने 350 भ्रष्टाचारी ड्राइवर, कंडक्टर, लिपिक और यातयात निरीक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर दी है। 50 साल या इससे अधिक आयु के इन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति (वीआरएस) दिया जा सकता है। प्रबंध निदेशक बीके संत ने इसके लिए समिति बना दी है। समिति दिवाली के बाद इस पर फैसला लेगी। परिवहन निगम ने 7500 स्थायी और अस्थायी कर्मियों का सर्विस रिकॉर्ड खंगाला। सभी डिपो ने मुख्यालय को सर्विस रिकॉर्ड भेज दिया है। 2500 कर्मचारी ऐसे हैं जो पचास साल या उससे अधिक उम्र के हैं। इनमें 350 कर्मियों का सर्विस रिकॉर्ड बहुत खराब है। इनको सेवाकाल में पांच या उससे अधिक बार दंड मिल चुके हैं, लेकिन सुधार नहीं आ रहा। इसलिए निगम इनको बाहर करने की तैयारी कर रहा है। जीएम प्रशासन समिति की अध्यक्ष दागियों को बाहर निकालने के लिए एमडी बीके संत ने समिति बनाई है। जीएम प्रशासन निधि यादव समिति की अध्यक्ष हैं। समिति में जीएम (संचालन) दीपक जैन, वित्त नियंत्रक पंकज तिवारी, डीजीएम (विधि) प्रदीप सती, एजीएम (कार्मिक) पीके गुप्ता शामिल हैं। यह समिति दिवाली के बाद बैठक कर दागियों को हटाने के मानक तय करेगी।
सेवाकाल में 28 बार मिल चुके दंड: निगम ने जिन दागियों की सूची तैयार की है इसमें 35 कर्मियों का रिकॉर्ड चिंताजनक है। कुछ कंडक्टरों को सेवाकाल में बेटिकट यात्रा, अधिकारियों से अभद्रता समेत अन्य मामलों में 28 बार तक दंड मिल चुके हैं। कुछ पांच बार तक सस्पेंड हो चुके हैं। कोटद्वार और काठगोदाम डिपो में भ्रष्टाचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है। ‘वेंटीलेटर’ पर रोडवेज कमजोर प्रबंधन और बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण रोडवेज वेंटीलेटर’ पर पहुंच गया है। हालत दिन प्रतिदिन माली होती जा रही है। घाटा 250 करोड़ से अधिक पहुंच गया है। 18 साल में यह पहला मौका है जब कर्मचारियों को त्योहारी सीजन में अक्तूबर तो दूर सितंबर माह का वेतन भी नहीं मिल पा रहा है। उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक निधि यादव ने बताया कि हमने 350 दागी कर्मियों की सूची तैयार कर ली है। इन पर कार्रवाई के लिए प्रबंध निदेशक ने अनुमति दे दी है। इसके लिए समिति गठित की गई है। दिवाली के बाद समिति की बैठक होगी। इसमें तय किया जाएगा कि कितने कर्मियों को हटाया जाना है।
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