सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
एक ओर गंगा-जमुनी संस्कृति की दुहाई
दूसरी ओर प्रयागराज पर लड़ाई
योगी जी को करने दो बर्बादी की भरपाई
अब तो हम सब हैं भाई-भाई
झूठे उदारवादियो ओर वामपंथियो बात समझ में आई।
इतिहास और भावना का मेल
इसे समझ पाना नहीं बच्चों का खेल
इतिहास में चलती नहीं ठेलम ठेल
तोड़कर बाहर निकलो दुराग्रहों की जेल
तुम लोगों के कुतर्क हो चुके सब फेल।
बदरी-केदार प्रदेश के सुनो छह बड़े प्रयाग
विष्णुप्रयाग
सोनप्रयाग
कर्णप्रयाग
नन्दप्रयाग
रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग
हिन्दू संस्कृति और सभ्यता को इनसे धार्मिक अनुराग
क्यों बरपा रहे हो शोले और आग।
उत्तर भारत की दो नदियाँ गंगा जमुना
मिलकर बनाती दोनों महा प्रयाग
इस प्रयाग को आदि-अनादिकाल से
कहा गया श्रद्धा से प्रयागों का राजा प्रयाग
इसलिए सुविधा को कहलाया प्रयागराज।
भारत को मैक्समूलर और मुगलों की नजर से मत देखो
यह वह भारत है जहाँ प्राचीनकाल में
हुआ करते थे विश्वविद्यालय विश्वविख्यात
आक्रान्ताओं की आठ सौ सालों की गुलामी ने
माना हमारी मेधा कर दी भ्रष्ट
किन्तु हमारी पहचान सोच समझकर की गई नष्ट।
योगी जी कृपया
राम-कृष्ण प्रदेश में फैजाबाद, बरेली, शाहजहाँपुर
और मुरादाबाद की क्या ज़रूरत
बदल दीजिए नाम सह लिया बहुत
ताकत की ऐंठ में बदले गए थे नाम
आप ऐतिहासिकता के लिए सुलट दीजिए ये सब नाम
इससे बड़ा नहीं योगी जी कोई काम
नाम से फलीभूत होता है अंजाम।
-इति