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(1)
हिस्ट्री शीट नम्बर 139-A पर पूर्ण विराम
आठ पुलिस परिवारों में तू पसार गया था मातम
आज हालात बदले और तोड़ गया तू दम
सुबह-सुबह जब कानपुर के बार्डर पर पानी बरस रहा था झमाझम
तब भी शायद तू चिल्ला रहा था कानपुर वाले विकास दुबे हैं हम
बकरी की अम्मा कब तक खैर मनाती और रहा कौन कभी हरदम
बुआ-बबुआ के पन्द्रह साल के राज में ऐश करता रहा तू बम-बम
योगी जी के राज में तो होना ही था तेरे अपनों को गम।
मुख्यमंत्री योगी ने जिम्मा सँभालते ही ताल ठोक कर कहा था
गुन्डो, मवालियो और डाकुओ कह रहा सुधर जाओ
वर्ना रामकृष्ण प्रदेश की सीमा ये दूर चले जाओ
तुमने योगी जी को दूसरे मुख्यमंत्रियों की तरह कमियों का पुतला समझा
योगी जी को वोटगर्द राजनीति का हिस्सा समझा
योगी जी मुलायम नहीं जो युवा बलात्कारियों को गलती करने वाले कह डालें
योगी जी मायावती नहीं जो जात-पात विरोधियों को मनुवादी पुकारें
योगी जी कांग्रेस नहीं जो भ्रष्टाचार को सहलाएं
योगी जी वामपंथी नहीं जो गरीब-मजदूर की आड़ लेकर भविष्य अपना सँवारें
योगी जी प्राचीन भारतीय परम्परा के योगी हैं
जो राष्ट्र-साधना में जुटे हैं
जिनके लिए अपना-पराया में भेद नहीं, वे तो सबके हैं
बशर्ते कि आप माँ भारती के देशभक्त बच्चे हैं।
विकास दुबे तुम
बुआ-बबुआ के राजनीतिक पिटारे के नाग थे
तुम इनके सिद्धान्तहीन शासन में पले-बढ़े थे
जात को जात से लड़ाना है जिनका काम
जो मजहबी कट्टरता को गले लगाते हैं खुले आम
मुलायम और माया ने अपने जीवन में किया है यही काम
इनकी यही सोसल-इंजीनियरिंग चलती रहती है सुबह शाम
अपने अन्तिम पड़ाव से पहले इन्हे अपने गुनाह कबूलने होंगे
नफरत फैलाने के तमाम अपराध सार्वजनिक करने होंगे
यही अपराध डीएमके ने तमिलनाडु में किए हैं
यही देशद्रोह के कुकर्म लालू यादव ने अंजाम दिए हैं
जिसे सोनिया गाँधी का भरपूर प्रेम मिलता था
साम्यवादियों ने सदा हर गुनाह में ऐसों का साथ दिया है।
अब दिल्ली का इकलौता बेटा जिहादियों की नाव बना है
इस नाव की सवारी कर शाहीन बाग रचा गया था
इसी नाव के रहते दिल्ली में जिहाद छेड़ा गया था
जिसको तुम दंगा कहकर बर्बरता को छिपाते हो
देश की स्थायी समस्या को बार-बार झुठलाते हो
वोट खोने के डर से जिहाद को जिहाद कहने से घबराते हो
गुन्डे-मवालियों से चुनाव प्रचार करवाते हो
खूनियों-बलात्कारियों को टिकट दिलवाते हो
कानून को खरीदने वाले धनबलियों को चुनाव लड़वाते हो
पुलिस वालों से कानून की कलाइयाँ मोड़ने को कहते हो
तभी तो पुलिस वाले शहीद देवेन्द्र मिश्रा जैसों की तौहीन करते हैं
गद्दार विनय तिवारी बनकर ईमानदार पुलिस पर कहर बनकर टूट पड़ते हैं।
सुन लो रे कथित मानवाधिकारवादियो
तुम लोग आठ शहीद पुलिस वालों के परिवारों से गए मिलने
सुन लो रे संविधानवादियो तुम गए घायल पुलिसवालों की सुनने
एकतरफा मानवतावाद का अपना झंडा जला डालो
या फिर मानवाधिकार का पूरा पक्ष समझना सीखो
कितनी बार गए थे मानवाधिकार वालो तुम मिलने दामिनी की माँ से
कितनी बार गए तुम लोग कश्मीरी पंडितों के जख़्म गिनने
है सच का दम तो आओ मुझसे मिलने।
कानून को ठोकरें मारने वालो होगा तुम्हारा यही अंजाम
फर्ज निभाने वाले पुलिस वालों को मारोगे तो होगा तुम्हारा काम-तमाम
देशद्रोही राजनीतिज्ञों की आड़ में छिपने वालो तुम्हारे जीवन का यही है दाम
लगभग तीस साल क्या कर रही थीं अदालतें
—– और अब क्या कर लेतीं अदालतें
क्या अदालतों की भी होगी कभी जिम्मेदारी तय
क्या अदालतें कर पा रही हैं मासूमों को निर्भय
आखिर अदालतों की नैतिकता कब होगी तय
बहरहाल, आठ शहीदी परिवारो बधाई हो
कम से कम मेरी ओर से तो है, यह तय।
(2)
परम्परा से हट कर सोचो दुश्मन के दिमाग को दबोचो
अरे मेरे प्यारे भारत
दोस्त, अमेरिका को समझाओ
संसार को साम्यवादी-तानाशाही के कहर से बचाओ
आचार्य चाणक्य के लिए प्यारे भारतीयो
अपने दिमाग की खिड़की खुलवाओ।
ड्रैगनिस्तान की कोशिश है पूरी
नेपाल को लाल-तानाशाही का गढ़ बनाया जाए
यह संभव हो न सके तो सेना का शासन लाया जाए
फिर सहूलियत के हिसाब से भारत को सताया जाए।
बांग्लादेश भी लम्बे समय तक
नहीं काबू में रहने वाला
आने वाले समय में वह भी है बदलने वाला
दूरदर्शिता की आँखों से समझो यह गड़बड़झाला।
इसलिए अमेरिका से मिल जुलकर
ड्रैगन को तिब्बत से भगाओ
दासता के खिलाफ संसार भर में जबर्दस्त अलख जगाओ
फिर ड्रैगन नहीं बल्कि तिब्बत हमारा पड़ोसी होगा
दुनिया में हमारा जयकारा होगा
लेह-लद्दाख ही क्या जंगली ड्रैगन को हिमालय के पार खदेड़ो
ठीक उसी समय पर साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में
अन्तर्राष्ट्रीय स्वतंत्र समुद्री गलियारे का परचम लहरा दो
ऐसी स्थिति में रसिया मूक दर्शक बन कर रह जाएगा
हमारा पड़ोसी जिहादिस्तान आधा मर जाएगा
अमेरिका में ट्रम्प फिर जीत का परचम लहराएगा
वह भारत के हित में बेहतर ढंग से काम आएगा।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।