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डीजी अशोक कुमार पन्द्रह दिन की चौकसी पर चौकस

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अशोक कुमार ने अपनी पुलिस को चेताया लोगों को समझाया
(कोरोना रण का चौथा चरण)

पन्द्रह मई सुबह पौने दस बजे
देहरादून के घंटाघर से निकलती चकरौता रोड पर
देखी हमने मजदूरों की भड़भड़ाती-भीड़
मौजूद चार-छह पुलिस वालों के बस से बाहर थी यह भीड़
अगर होते पुलिस वाले वहाँ दस-बीस
तो बन सकती थी बात काबू हो जाती शायद भीड़
दो गज दूरी तो क्या बन्धु
उनके टकरा रहे थे कन्धे से कन्धे
उन्हें कहा जा सकता है कोरोना काल के अन्धे
मोबाइल होता पास तो एक मस्त फोटो खींच लेते
बड़े पुलिस अफसरों को तुरन्त भेज देते
ऐसी ढिलाई के दोषियों का पता चल जाता
अगले दिन फिर ऐसी गलती न कोई दोहराता
भोंपू पर भीड़ को लगातार चेताया तो जा रहा था
लेकिन यह अन्दाज-ए-कोशिश प्रवचन साबित हो रहा था
कोरोना की विपदा में जरूरी चुस्ती-फुर्ती का टोटा खल रहा था।
इस अनचाही घटना से लगभग पन्द्रह-सोलह घंटे पहले
डीजी (अपराध) अशोक कुमार जी ने राज्य के लोगों को था चेताया
मुँह पर मास्क लगाकर ज़रूरी काम वाले ही घर से निकलें बाहर
कोरोना संक्रमण से बच सकते हैं केवल सावधान रहकर
उनकी चेतावनी में भरा था अभिभावक वाला दोस्ताना स्वर
सोशल मीडिया को चाहिए पहुँचाएं संदेश ऐसे घर-घर
हम जब तक पुलिस का साथ न देंगे
हम तब तक अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से दूर रहेंगे
हमें समझना होगा पुलिस के पास नहीं हैं दुनिया-भर के संसाधन
जो अपनी बात को पहुँचा सकें वे आनन-फानन में घर-घर
किन्तु सूचना-तकनीकी का पुलिस को ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना होगा
पुलिस को भी देश के हित में हर मौके का लाभ उठाना होगा
हर चौराहे पर दिन-रात चलता पुलिस का टी.वी लगाना होगा
पुलिस की निगरानी में यह ज़रूरी कदम उठाना होगा
इस काम के लिए उद्योगपतियों और सामाजिक संस्थाओं को आगे आना होगा
राज्य को ही नहीं बल्कि पूरे देश को परिवार की तरह चलाना होगा।
डीजी (अपराध) अशोक कुमार जी ने यह भी था बताया
तबलीगी जमातियों पर सही समय पर सही कदम था उठाया
तबलीगियों में से इकतालीस (41) को कोरोना पॉजिटिव था पाया
सबका इलाज कराया और सबको ही था बचाया
सही है, डीजीपी महोदय कदम यह सराहनीय था
अन्यथा, उत्तराखंड का कोरोना के चक्रव्यूह में फँस जाना तय था
इसके लिए पुलिस का नेतृत्व और पूरा पुलिस बल हार्दिक बधाई का पात्र है
मगर, मान्यवर हर संवेदनशील चौराहे पर राज्य के पुलिस बल को बढ़ाओ
पुलिस के जवानों में आप लोगों ने समझदारी भरी विनम्रता जो पैदा की है
इस विनम्रता पर मनोबल का ज़रूरी लेप लगाओ
राज्य की पुलिस आप लोगों के रहते देश का गौरव बन जाए
इस भावना में दिन दूना रात चौगुना रंग भर दिया जाए
पुलिस देश के अन्दर वाली सेना है
पुलिस और मीडिया को इसलिए महानुभावो अपना सर्वोत्तम देश को देना है।
                    -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।

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