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Roorkee Bus Stand

यात्रियों की सुरक्षा राम भरोसे

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रुडकी (संवाददाता)। रुड़की रोडवेज डिपो की बसों में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा राम भरोसे है। डिपो की करीब 6 बसों की संचालन अवधि समाप्त होने के साथ-साथ हालत भी खस्ता हो चुकी है। इसके बाद भी बसें पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में दौड़ रही हैं। वहीं अधिकारी बसें कम होने का हवाला दे रहे हैं।
रु ड़की रोडवेज की बसों की खस्ता हालत यात्रियों के लिए मुसीबत का कारण बनी हुई है। डिपो की ज्यादातर बसें पुरानी हो जाने के कारण बसें अक्सर बीच रास्ते में बंद हो जाती हैं। बसों की खस्ता हालत के चलते रोजाना यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ बसों का तो नीचे के फर्श में भी छेद हो गए हैं। इतना ही नहीं पुरानी बसों को ड्राइवर भी रूट पर ले जाने से पल्ला झाडऩे की कोशिश करते हैं। बसों की संचालन अवधि आठ लाख किलोमीटर होती है। इसके अलावा पांच लाख किलोमीटर तक चलने के बाद बस की गिनती पुरानी बसों में की जाने लगती है। जबकि रुड़की रोडवेज डिपो में करीब आधा दर्जन ऐसी बसें हैं जो आठ लाख किलोमीटर का सफर पूरा कर चुकी है। इसके बाद भी बसों का लगातार संचालन किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बसों के संचालन के मानक मुख्यालय स्तर पर निर्धारित किए गए हैं। जबकि एचटीए के अनुसार बसों की संचालन अवधि पंद्रह साल तक होती है। इन मार्गों पर किया जाता है संचालनरुड़की डिपो से हरिद्वार, ऋषिकेश, दिल्ली, देहरादून, हल्द्वानी समेत मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में बसों का संचालन किया जाता है। रुड़की डिपो की बसों में प्रतिदिन एक हजार से पंद्रह सौ यात्री सफर करते हैं। रुड़की डिपो में निगम की कुल 30 बसें हैं। जिनमें 12 नई बसें हैं और बाकी बची हुई 18 बसों में से 6 बसों की संचालन अवधि भी पूरी हो चुकी है। रोडवेज की बसों में नदारद है सुरक्षा के इंतजाम रोडवेज डिपो की बसों मे यात्रियों के साथ सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है। प्रतिदिन रोडवेज बसों में करीब एक हजार से पंद्रह सौ यात्री रोजाना सफर करते हैं। लेकिन निगम की ओर से यात्रियों की सुरक्षा का ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आगजनी की कोई घटना होने पर अग्निशमन यंत्र से आग बुझाई जाती है। लेकिन रुड़की रोडवेज डिपो की करीब 18 बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं लगा है। महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने बताया कि उत्तराखंड डिपो के पास बसों का बेड़ा कम है। नई बसों को खरीदने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। अगस्त के अंत तक नई बसों को बेड़े में शामिल किया जा सकेगा।
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