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पेपरलेस हुआ सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से पेपरलेस और डिजिटल हो चुका है और अब लोग ऑनलाइन याचिका और केस दायर कर सकेंगे। पीएम मोदी ने विज्ञान भवन में इसकी शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने डिजिटल इंडिया के लिए नया मंत्र भी दिया।  इस सिलसिले में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि तकनीक की ताकत बड़ी अद्भुत होती है। उन्होंने कहा कि मन बदले तभी बदलाव की शुरूआत होती है। तकनीक को अपनाना तभी संभव है जब कुछ लोग नहीं बल्कि बड़ी संख्या में लोग इसे अपनाएं। पीएम ने कहा कि ई-गवर्नेंस आसान और कारगर हो और ई-गवर्नेंस का जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग करें। हमारी तकनीक समझ केवल हार्डवेयर तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। चुनौती सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में नहीं है। इसके लिए एक सामूहिक मन बनाना पड़ता है, एक चेन अटकी तो पूरी प्रक्रिया अटक जाती है। इस दौरान उन्होंने नया मंत्र देते हुए कहा कि आईटी प्लस आईटी इज इक्वल टू आईटी, यानी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्लस इंडियन टेलेंट इज इक्वल टू इंडिया टूमारो। अदालतों में लंबित मामलों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने इस बात को लेकर मुख्य न्यायधीश से चिंता जाहिर की थी कि लंबित केसों को कैसे कम किया जाए। पीएम ने कहा कि कागज की करेंसी का वक्त जा रहा है। रिसर्च कहती है कि ।4 साइज का एक पेपर बनाने की प्रक्रिया में 10 लीटर पानी खर्च होता है, अगर हम पेपरलेस हुए तो हम आने वाली पीढिय़ों के लिए कितना पानी बचाएं। डिजिटल करंसी को जीवन का हिस्सा बनाएं। इससे पहले कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में डिजिटल फाइलिंग की व्यवस्था शुरू होने से वकील अब अपने कक्ष से भी ई फ ाइलिंग कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि वादी को फ ाइलिंग, कोर्ट फ ीस आदि के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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