सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
सिनेमा हॉल ही क्यों
सभी सरकारी संस्थानों में
नेशनल ऐन्थिम का विधान
बन जाए पूरे देश का संविधान।
जिसे सिनेमा हॉल में देखनी है फिल्म
उसे नेशनल ऐन्थिम पर
अपने पैरोें पर खड़ा होकर
जताना होगा दिल से सम्मान
देश का करना होगा मान।
ऐसा न करने वाले को देखकर
सीने पर चलता है बुलडोजर
जिसके लिए नेशनल ऐन्थिम फालतू है
उसके लिए इस देश मेें कोई जगह नहीं
उसमें भारतीय कहलाने की कोई वजह नहीं।
ऐ हुकूमत-ए-मोदी
देश-प्रेम से बढ़कर धर्म नहीं
देश-प्रेम से बढ़कर कोई मर्म नहीं
देश-प्रेम का सही सन्दर्भ यही
सरकारी संस्थानों में ठीक दस बजे सुबह
नेशनल ऐन्थिम गुंजायमान हो
हर मुलाजिम पर जारी यह फरमान हो।
नेशनल ऐन्थिम है पूजा से बढ़कर
सच निखरता है झूठ से लड़कर
नेशनल ऐन्थिम से समझौता है अन्याय से बढ़कर
सभी कार्यालयों में लागू हो नेशनल ऐन्थिम बढ़-चढ़कर
कुछ नहीं कर सकते हैं हम देश-प्रेम की भावना से हटकर
सभी का साथ सभी का विकास सम्भव है तभी डटकर
देश सेवा का मौका मिला है आपको
समझौतावादियों से लड़कर
आओ भारतीय- संस्कृति पर मर मिटे हम जय श्रीराम कहकर
आगामी विजयादशमी को सफल कर दें हम
भारत माता के चरणों में माथा टेक कर।
-इति