अपने चुलबुले अंदाज और बेहतरीन अदायगी के लिए मशहूर ऐक्ट्रेस जूही चावला अब कम लेकिन दमदार भूमिकाओं में ही नजर आती हैं। फिल्म चॉक ऐंड डस्टर के 3 साल बाद अब वह फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा में दिखाई देंगी। पेश है उनसे यह खास बातचीत:
इस फिल्म में आप करीब एक दशक बाद अनिल कपूर के साथ काम कर रही हैं। कैसा अनुभव कैसा रहा? आपने या उनमें कोई बदलाव पाया?
अनिल जी के साथ काम करने का अनुभव बहुत अच्छा था। वह पहले भी बहुत हार्ड वर्किंग थे। टैलंटेड तो वह हैं ही। हमेशा बड़े जोश के साथ काम पर आते हैं। वह अब भी इतने जोशीले हैं कि मैं तो कहती हूं कि उनका नाम जोशीले होना चाहिए, अनिल कपूर जोशीले। मैंने एक बदलाव नोटिस किया कि वह फिटनेस पर काफी ध्यान देने लगे हैं। जैसे, हम पटियाला में शूट कर रहे थे। वहां होटल के पास एक बड़ा सा ग्राउंड था। मैं वहां थोड़ा वॉक करती और थोड़ा धूप में बैठ लेती थी, लेकिन अनिल जी साइकिल पर आते थे। उनका ट्रेनर पीछे भाग रहा होता था। फिर वह स्किपिंग करते थे, वेट्स करते थे, फिर कुछ लिफ्टिंग होती थी। वह अपनी कसरत में ही लगे रहते थे। यह कमाल का चेंज था। उसके अलावा, ऐक्टिंग में भी वह बहुत अच्छे हो गए हैं। वह टेक देते, तो हमारी डायरेक्टर फैनटैस्टिक-फैनटैस्टिक बोलती थीं। मैं सोचती थी कि अनिल जी का शॉट होता है, तो फैनटैस्टिक और मेरा होता है तो सिर्फ गुड, मैं तो इनसिक्यॉर भी हो गई थी। हालांकि, मेरे लिए ज्यादा एक्साइटिंग यह था कि मैं उनके अलावा सोनम और राजकुमार राव के साथ भी काम कर रही थी। इन लोगों के साथ काम करते वक्त हमें भी कुछ सीखने को मिलता है। यह देखने को मिलता है कि यह नई पीढ़ी कैसे सोचती है और वह मेरे लिए ज्यादा एक्साइटिंग था।
मसलन, सोनम और राजकुमार जैसे नई पीढ़ी के कलाकारों से क्या सीखा आपने?
सोनम को मैंने 13-14 की उम्र में भी देखा हुआ है, जब हम दीवाना-मस्ताना की शूटिंग कर रहे थे, तो स्विट्जरलैंड में एक लंबा शेड्यूल था। तब, ये अपनी ममी और रिया के साथ आई थी। डेविड धवन जी डायरेक्टर थे, तो उनकी वाइफ और दोनों बच्चे रोहित-वरुण भी थे। हम लोग शूटिंग करते थे, तो ये इधर-उधर गुजरते रहते थे। कभी साथ में लंच करते थे। अब वही सोनम मेरे साथ सेट पर थी, तो एक अलग अनुभव होता है कि हम कहां से कहां पहुंच गए। सेट पर वह मुझसे पूछती रहती थी कि जब आप पापा के साथ पहले काम करती थीं, तब वह कैसे थे, उनका बर्ताव कैसा था? सोनम को फिल्ममेकिंग की काफी जानकारी है। मैंने सोनम से एक दिन पूछा कि तुम कभी ज्यादा पूछताछ नहीं करती हो, जबकि हम लोग कुछ न कुछ पूछते थे कि ये ऐसे क्यों हो रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए, लेकिन सोनम को मैंने कभी ऐसा करते नहीं देखा। उसने बताया कि मैं फिल्म शुरू करने से पहले डायरेक्टर से इतने सवाल पूछती हूं कि बाद में कुछ बचता ही नहीं है। मुझे लगा कि यह कितनी कमाल की बात है। सारे सवाल पहले ही पूछ लेना चाहिए। फिर, राजकुमार तो कमाल के ऐक्टर हैं। मेरी शूटिंग की शुरुआत उनके साथ हुई। मैंने उनके काम की तारीफ भी की। हालांकि, वह थोड़े शांत इंसान हैं, ज्यादा बातें नहीं करते।
आपकी पिछली फिल्म चॉक ऐंड डस्टर करीब 3 साल पहले आई थी। आप इतना कम काम क्यों करती हैं?
जब कोई अच्छी फिल्म आती है, तो मैं जरूर करती हूं। मैं और फिल्में भी करना चाहूंगी, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि अच्छा काम आए, क्योंकि अब जो करना है, दिल से करना है और दिल से करना है, तो दिल को अच्छा लगना चाहिए। मुझे ऐसी फिल्में करनी है, जिसमें मेरे लिए कुछ करने को हो। सिर्फ मां या आन्टी जैसे रोल मैं नहीं कर सकती। उसमें कुछ होना चाहिए और ऐसे रोल कम ही होते हैं। इसीलिए, मैं अच्छी चीजों का इंतजार करती हूं। वैसे, चिंटू जी के साथ अक्टूबर-नवंबर में एक फिल्म शुरू होने वाली थी, लेकिन वह रुक गई क्योंकि वह अपने ट्रीटमेंट के लिए चले गए, तो ऐसी वजहें भी होती हैं।
आपने आमिर खान, शाहरुख खान आदि के साथ ही करियर शुरू किया था। उनके पास अब भी हीरो वाले रोल्स की भरमार है। जबकि आपके लिए अच्छे रोल्स कम हैं? इंडस्ट्री में हीरो-हीरोइन के बीच इस भेदभाव पर क्या कहेंगी?
यह कोई नई बात तो है नहीं, यह तो पहले से होता रहता है। देव साहब कितने सालों तक हीरो रहे। जीतू जी, धरम जी या कोई भी हो, सबने कई सालों तक फिल्में कीं, जबकि हीरोइनों को आगे बढऩा पड़ा। यह ऐसे ही है। मैं इसे माइंड नहीं करती हूं। मेरा मानना है कि कम ही काम करो, लेकिन अच्छा काम करो, उसमें ज्यादा संतुष्टि है। आज कभी-कभी लोग बोलते हैं कि ये ऐक्टर्स ऐसी फिल्में क्यों कर रहे हैं? मतलब, कभी बहुत अच्छी फिल्में करते हैं, लेकिन कभी ये ऐसी-वैसी फिल्में भी कर लेते हैं। उससे तो बेहतर है कि भई, थोड़ा काम करो, लेकिन ऐसा काम करो, जिसमें कोई बात हो।
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा का विषय फीमेल समलैंगिकता पर आधारित है। आपको लगता है कि दर्शक अब ऐसे विषयों के लिए तैयार हैं?
आपने बधाई हो देखी। जब आपने फिल्म का विषय सुना होगा, तो आपको लगा होगा कि यह क्या है कि बेटा भी शादी करने जा रहा है और ममी का भी बच्चा हो रहा है। लेकिन एक तो यह बात नई नहीं है, दूसरे जब आप फिल्म देखते हैं, तो आपको एक पल के लिए भी अजीब या असहज नहीं लगता। जब आप एक लड़की को… देखेंगे, तब भी आपको वही फीलिंग आएगी।
इस फिल्म में पहले राजू हीरानी को-प्रड्यूसर थे। फिर उन पर मीटू के तहत शोषण के आरोप लगे। आप इसे कैसे देखती हैं? आपको लगता है कि यह मुहिम सही दिशा में जा रही है?
इसका एक फायदा तो मैं देखती हूं कि यह जो हुआ या हो रहा है, उसके बाद आगे कोई भी उल्टी-सीधी हरकत करने से पहले दस बार सोचेगा। इस लिहाज से यह सही है, अच्छा है। लेकिन एक चीज मैं बोलना चाहती हूं कि मेरी इंडस्ट्री को बदनाम मत करो। आपको हर जगह पर हर किस्म के लोग मिलेंगे। यह किसी एक इंडस्ट्री की बात नहीं है। बस, यह है कि इंडस्ट्री में किसी का नाम आता है, तो चूंकि वह फेमस है, तो बड़ी खबर बनती है। फिर उस बात में कितनी सचाई है, यह हमें पता नहीं चलता लेकिन खबर पहले छप जाती है, नाम बदनाम हो जाता है। राजू हीरानी का जब मामला आया, तो मैं यहां थी नहीं। मुझे बहुत बाद में पता चला, तो मुझे लगा कि अरे, यह क्या है? मुझे पता नहीं कि इस खबर में कितनी सचाई है, तो मैं इस पर क्या कहूं? वह निश्चित तौर पर मेरे पसंदीदा निर्देशकों में से एक हैं। मैंने उनके साथ एक ऐड किया है, लेकिन मैंने ठीक से यह खबर भी नहीं पढ़ी है, तो मैं इस पर क्या बोलूं?
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