Breaking News
baba ji

अधिक मास खगोलशास्त्रीय घटना-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

?️☘️???️??️
???????

? अधिकमास का आध्यात्मिक महत्व

baba ji

देहरादून/ऋषिकेश (दीपक राणा)। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा हिंदू धर्म में अधिकमास का आध्यात्मिक महत्व है। इसे मलमास भी कहा जाता है। यह महीना पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस वर्ष अधिकमास को कई मामलों में काफी शुभ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2020 का अधिकमास बहुत ही शुभ सुयोग लेकर आया है। 160 वर्षो के पश्चात यह शुभ अवसर आया है। इसके बाद ऐसा संयोग साल 2039 में बनने वाला है। अधिकमास 18 सितंबर 2020 से आरंभ हो रहा है और 16 अक्टूबर 2020 को समाप्त होगा।
अधिकमास तीन वर्ष में एक बार आता है इसका वैज्ञानिक आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का माना जाता है, वहीं चंद्रमा वर्ष 354 दिन का माना जाता हैI इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिन का अंतर होता हैI यह अंतर 3 साल में 33 दिन अर्थात लगभग एक माह होता है। उसी अंतर के कारण तीन साल में एक बार चंद्रमास आता है । दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यह एक खगोलशास्त्रीय तथ्य है, सूर्य 30.44 दिन में एक राशि को पार कर लेता है और यही सूर्य का सौर महीना है। ऐसे बारह महीनों का समय जो 365.25 दिन का है, एक सौर वर्ष कहलाता है। चंद्रमा का महीना 29.53 दिनों का होता है जिससे चंद्र वर्ष में 354.36 दिन ही होते हैं। यह अंतर 32.5 माह के बाद यह एक चंद्र माह के बराबर हो जाता है। इस समय को समायोजित करने के लिए हर तीसरे वर्ष एक अधिक मास होता है।
एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या के बीच कम से कम एक बार सूर्य की संक्रांति होती है। यह प्राकृतिक नियम भी है। जब दो अमावस्या के बीच कोई संक्रांति नहीं होती तो वह माह बढ़ा हुआ या अधिक मास होता है। संक्रांति वाला माह शुद्ध माह तथा संक्रांति रहित माह अधिक माह और दो अमावस्या के बीच दो संक्रांति हो जायें तो क्षय माह होता है। क्षय मास कभी कभी होता है। हमारे शास्त्रों में उल्लेख है कि अधिकमास में श्रद्धा के साथ किये गये धार्मिक अनुष्ठान पुण्यफल देने वाले होते है।
हिन्दु धर्म शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान विष्णु हैं और पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है इसलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता हैI पुराणों में इस मास को लेकर कई धार्मिक रोचक कथाएं भी दी गई है. कहा जाता है कि भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किए चूंकि अधकि मास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ और इसके अधिपति भगवान विष्णु जी है इसलिये इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अधिकमास का महीना धार्मिक अनुष्ठान के लिये अत्यंत माना गया है परन्तु अन्य शुभ कार्य नहीं किये जाते।
???????

Check Also

Canlı casino atmosferini yaşa: Sweet Bonanza giriş deneyimi

Canlı casino atmosferini yaşa: Sweet Bonanza giriş deneyimi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *