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major chitresh

संसार का लिहाज छोड़ो जिहादिस्तान को पकड़कर तोड़ो (इस कविता से खुद को जोड़ो)

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B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)

इस्लामी-जिहाद कब तक दलेगा मूँग हमारी छाती पर

तमिल से कश्मीर
गुजरात से त्रिपुर
एक, देश का सुर
बहुत मधुर-मधुर
प्रांत-प्रदेश
अलग-अलग
धड़कन एक मगर
रंग-ढंग
बोल-चाल
हाव-भाव में हो भले ही अंतर
सच यह है पर
एक है जिगर
उमंग है
तरंग है
चकित हो संसार
हर बाधा करें पार
दिल में हो खूब प्यार
जरूरत पड़े अगर
चल पड़ें एक डगर
शिव का त्रिशूल बनकर
विश्व में रहे शान्ति अजर
भरा है भावना का समन्दर
पर चेतावनी धारदार
शान्ति के दुश्मनो, माँगो मत समर
शैतानो कर रहे हम, तुम्हे खबरदार
करो मत मजबूर कि कभी
हो जाए आर-पार
सुन लो हमारे बेताब, दिल की पुकार
हमारा रहा यही जन्मजात अधिकार
जुबान पर देश की, सवार जय-जयकार
देश पर मर मिटने का जज़्बा है अपार।

-जय भारत               -जय जवान

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