चोरों, डकैतों, उचक्कों और मवालियों जैसे करम तुम्हारे
देख रहा देश खुली आँखों से दिल्ली में, वाह रे
देश की राजधानी के नाम पर तुम दोनों ने
दिल्ली-सरकार का संविधान मकड़जाल में ऐसा उलझाया
एक चतुर मकड़ा भी अपनी कारीगरी पर झुँझलाया
सोचते हो तुम दोनों ने केजरीवाल को अपना शिकार बनाया
नहीं, देशद्रोहियो तुमने लोकतंत्र पर ऐसा ग्रहण लगाया
देश के लोगों को दुर्योधन और अश्वत्थामा याद आया
तुमने तो कामचोर और भ्रष्ट आई ए एस अफसरों को भी नीच-राजनीति में साझीदार बनाया
मुझे तो तुम दोनों में जिहादिस्तान और ड्रैगनिस्तान नज़र आया।
यही सब करते हैं ज़ालिमो सपाई-बसपाई-डीएमके, सरीखे
तुम लोगों ने एक दूसरे से यही ऐब हैं सीखे
वीर कर रहा तुम दोनों से कुछ सवाल तीखे
देशप्रेम का पहला पाठ तक, तुम लोग अभी तक, क्यों नहीं सीखे।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor(NWN)