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अब जेलर भी नहीं ले जा सकेंगे जेल में मोबाइल फोन

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हाल ही में चमोली जिला जेल में डिप्टी जेलर के मोबाइल फोन से कुख्यात बदमाश के रंगदारी मांगने का खुलासा होने पर कारागार महानिरीक्षक ने सभी जेलों के लिए नया आदेश जारी किया है। अब जेलर या डिप्टी जेल भी जेल में मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। केवल जेल अधीक्षक व वरिष्ठ जेल अधीक्षक पद के अफसरों को मोबाइल फोन रखने की अनुमति है। जेल से कैदियों के मोबाइल फोन पर बात करने के मामले कई बार उठते रहे हैं जिसको लेकर जेल में जैमर लगाने के भी प्रयास हुए। हालांकि कुछ समय बाद अधिकांश जेलों में ये जैमर शोपीस बन गए। समय-समय पर प्रशासन के साथ ही कारागार महकमे के आला अफसर जेल की बैरक आदि का औचक निरीक्षक निरीक्षण कर कैदियों की तलाशी लेते हैं जिससे कैदी अपने पास मोबाइल फोन या कोई अन्य संदिग्ध वस्तु न रख सकें। अफसरों की सख्ती के बाद कुछ समय पहले एक चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया था। चमोली जेल में बंद कुख्यात बदमाश प्रवीण वाल्मीकि ने रुड़की के एक डेयरी कारोबारी से फोन पर रंगदारी मांगी थी। पुलिस की जांच में जिस फोन से रंगदारी मांगी गई, वह तत्कालीन डिप्टी जेलर कर्मराज का निकला। विभागीय जांच में इसकी पुष्टि होने पर पिछले माह आइजी जेल ने कर्मराज को बर्खास्त कर दिया।  वहीं इसको जेल प्रशासन ने एक सबक के रूप में लिया है। कुछ दिन पहले महानिरीक्षक कारागार डॉ. पीवीके प्रसाद ने प्रदेश की सभी जेलों में एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में प्रदेश की सभी जेलों में कार्यरत वरिष्ठ कारागार अधीक्षक/कारागार अधीक्षक के अतिरिक्त अन्य किसी कर्मी का जेल के मुख्य द्वार के अंदर मोबाइल जे जाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। जिन कारागारों में पूर्णकालिक कारागार अधीक्षक तैनात नहीं हैं, केवल वहां के कारापाल मोबाइल फोन जेल के भीतर मोबाइल ले जा सकेंगे।  नैनीताल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य का कहना है कि पूर्व में डिप्टी जेलर या जेलर पद के कर्मचारी जेल परिसर में मोबाइल ले जा सकते हैं। इससे नीचे के पदों के कर्मचारियों को जेल के भीतर मोबाइल फोन का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी। महानिरीक्षक कारागार ने आदेश जारी कर डिप्टी जेलर व जेलर के जेल में मोबाइल लाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। नवंबर 2016 में रुड़की के एक डेयरी कारोबारी राजेंद्र कुमार ने गंगनहर थाने में राठी गैंग के सदस्य और हिस्ट्रीशीटर प्रवीण वाल्मीकि के नाम से फोन कर रंगदारी मांगने की रिपोर्ट लिखाई थी। पुलिस ने राजेंद्र द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर की जांच की तो वह तत्कालीन चमोली जेल के इंचार्ज डिप्टी जेलर कर्मराज का निकला।  उस समय प्रवीण उसी जेल में बंद था। इस पर प्रवीण के खिलाफ रंगदारी मांगने तो कर्मराज के खिलाफ आपराधिक षडय़ंत्र का मुकदमा लिखा गया।

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