तिरंगे की आन पर, शहीद हुआ है हमारा चन्दन
वीर का जय हिन्द तुझको, धीरज दो प्रभो रघुनन्दन।
चन्दन तेरे लहू के कतरे
लगा रहे हम पर इल्जाम
जिस मजहबपन ने सैंतालीस में देश को बाँटा
उस वहशीपन पर हम लगा न पाए कोई लगाम
आर-पार हो जाता तब छँट जाते मजहब के बादल
बार-बार की खूनी बारिष से धरा न बनती दलदल
जिहाद भरी रगों से इन्सानियत की उम्मीद करते आए
साँपों को दूध पिलाने का दंश भोगते आए
हिन्दू ने सदियों से नफरत के बवंडर ठिकाने लगाए
दुनिया के लिये होगी नई चुनौती हम तो सदियों जूझते आए
अरे बापू प्यारे काश आप इतिहास का दर्द समझ पाते
हो जाने देते आर-पार आज कश्मीर में जिहाद का बुखार तो न पाते
खा रहे देश का अन्न, गुण पाकिस्तान यानी जिहादिस्तान के गाते
कट्टरता में चतुराई का गुड़ बड़े सलीके से ये मिलाते
भारत माता की जय इन्हे लगती गाली तीन तलाक पर ये शान दिखाते
राम मन्दिर के सीने पर खड़े ढांचे को बाबरी मस्जिद कहाते
बाबर औरंगजेब जिन्नाह जैसों पर सीना चौड़ा करते रहते
आर एस एस की भारतीयता पर डरकर घिनौने इल्जाम लगाते
भारत में ये मौज कर रहे भारत के ही सीने पर मूँग हैं दलते
मेरे प्यारे चन्दन सत्तर सालों से करते आए ये पाकिस्तान का वन्दन
बेटा तुझे नमन कह रहा तू तो मेरे माथे का चन्दन
जिस तिरंगे को लहराता हुआ छोड़ गया तू हमें रे चन्दन
उसी तिरंगे की कसम है हमको तेरी शहादत की लाज रखेंगे चन्दन।