पिथौरागढ़ (संवाददाता)। आखिरकार लंबे जद्दोजहद के बाद काली नदी पर भारत और नेपाल के मध्य ग्रामीणों और व्यापारियों की आवाजाही के लिए तीन दिन पूर्व निर्मित नजंग के अस्थाई पुल ग्रामीणों को रास नहीं आ रहा है। झूलापुल की तर्ज पर हिलने वाले इस पुल पर चलने से जानवर भय खा रहे हैं। ऊपर से पुल की चौड़ाई कम होने से पीठ पर सामान लेकर चल रहे जानवरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। व्यास घाटी के सात गांवों के ग्रामीणों के माइग्रेशन और भारत चीन व्यापार के व्यापारियों को धारचूला लाने के लिए भारत और नेपाल के मध्य काली नदी पर लखनपुर और नजंग में दो अस्थाई पुल बनाए गए हैं। नजंग का पुल बीते दिनों बीआरओ द्वारा सड़क निर्माण के लिए किए गए बारुदी विस्फोट से क्षतिग्रस्त हो गया था। लोनिवि द्वारा तीन दिन के भीतर क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत कर इसे प्रारंभ किया। इधर उच्च हिमालय में हिमपात के चलते ग्रामीणों माइग्रेशन होने लगा है। व्यास से आए ग्रामीणों ने बताया कि नजंग पुल झूला पुल की तरह हिल रहा है। जिस कारण पुल से घोड़े, खच्चरों का चल पाना कठिन हो रहा है। एक बार में एक ही जानवर पुल पार कर पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पुल की चौड़ाई कम होने से सामान ढोकर ला रहे जानवरों को पुल पर चलने में दिक्कत हो रही है। पुल को लेकर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई है।
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