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जीटीवी न्यूज नेटवर्क की बुनियादी भूमिका को याद रखेगा क्या भारत?

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कश्मीर में स्वामी विवेकानन्द जी की चीत्कार

(अक्टूबर 1898)

भारत के एक भगवाधारी सन्त ने
पूरे संसार के धर्म-गुरुओं को शिकागो धर्मसंसद में
भारतीय सनातन धर्म का जब था समझाया सार
भारतीय जीवन-दर्शन का तीर हुआ था धर्मगुरुओं के दिल के आर-पार
उमड़ पड़ा था इस दिव्य महामानव पर लुटाने को अपना प्यार
दीवाना-परवाना होकर अमेरिका ही नहीं पूरा संसार।
बताओ तो दुनिया वालो कैसे हुआ था यह चमत्कार
स्वामी विवेकानन्द ने तो बस मिटाया था सबका अहंकार
उजाला भर दिया था हटा कर अज्ञानता का अंधकार
माना था तब सबने झुकाकर सर
भारत को मानवीय ज्ञान का अनन्त भंडार
प्राचीन भारत रहा है दरअसल पूरा का पूरा संसार
फैला चारों तरफ जहाँ से प्रकाश ज्ञान का सिलसिलेवार
भरसक झुठलाया मिलकर इतिहासकारों ने बताया भारत को दीन-हीन बेकार
लेकिन स्वामी जी ने किया था पूरी मर्यादा के साथ पलटवार
वेद, उपनिषद और गीता का पीया था स्वामी जी ने सार
भारत माता को हृदय में आसीन कर किया करते थे वे विचार
किस तरह दुनिया ने भारत से सीखी सभ्यता और कोमल मानवीय संस्कार
दासता की बेड़ियों में जकड़े भारत को दीन-हीन और असभ्य दिखाते रहे इतिहासकार
सच पूछो तो स्वामी विवेकानन्द ‘‘चिंतन-मनन’’ से बन चुके थे भारत-मानवाकार
इसीलिए शिकागो धर्म-संसद में सिद्ध हुए थे वे टीलों के आगे पर्वताकार
भुला दिया पर पूरी दुनिया ने जल्दी ही भारत का वह अद्भुत साक्षात्कार।
राम और कृष्ण के बाद स्वामी जी थे सबसे विराट सबसे अपार
भारत ने इस संसार -विभूति से भी सीखा नहीं पुनीत आचार
राम, कृष्ण और स्वामी विवेकानन्द को समझ पाना है कठिन विचार
गलत ढंग से बताए जाते हैं ऐसे विराट महात्माओं के संस्कार
सन्त और देशप्रेमी क्या होता है इस महान विद्वान से जानो रे अनाड़ी संसार
कैसे पाओगे थाह स्वामी जी की ये तो हैं महासागर अपार
माँ भारती के पावन चरणों में मर-मिटने को है जो तैयार
वही समझ पाएगा स्वामी नरेन्द्र दत्त को होगा उसका बेड़ा पार
माँ भारती हजारों सालों में जनती है एक ऐसा सपूत हो चकित जिस पर संसार।
शिकागो धर्म संसद की दैवीय घटना के लगभग सात साल बाद
स्वामी विवेकानन्द जी पधारे कश्मीर की वादियों में महाराज
काली माता के मन्दिर परिसर में भगिनी निवेदिता के साथ गए स्वामी जी सरकार
काली-माता की मूर्तियों पर देखकर जिहादी-बर्बरता की हैवानी मार
सन्नाटे में आ गया ऐसा धीर-वीर विराट पुरुषार्थी दमदार
बड़बड़ाए विक्षिप्त होकर स्वामी जी लगातार
सुनो बहन निवेदिता तुम मेरे दिल की चीत्कार
मैं देशप्रेमी नहीं केवल एक बच्चा हूँ बे-असरदार
जो अपनी काली-माता की बचा न पाया गरिमा का संहार
आक्रोश उमड़ा था स्वामी जी के मन में आया था भयानक भूचाल
कट्टर इस्लामी जिहाद पर किया था स्वामी जी ने सिंहनाद
कहा था देशप्रेमी कहलाने वालों का है जीना बेकार
इसलिए, देशवासियो घिनौनी सच्चाई से मत करो इनकार
जिहादी सोच वालों पर करो संविधान का वार
झूठे और मनहूस सेकुलरवादियों से बचाओ देश को रे समझदार
बामियान में किस मजहब वालों ने बुद्ध को किया था तार-तार
मजहब से जोड़ो या ना जोड़ो क्या फर्क पड़ता है यार
मजहबी कट्टरता के बिखरे पड़े हैं सबूतों के जखीरे दुनियाभर में भस्म-लाचार।
                         -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।

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