Breaking News
court

सुप्रीम कोर्ट ने 2 माह में निपटाए 9 हजार केस

court

नई दिल्ली । देश की अदालतों में सवा तीन करोड़ मुकदमों के बोझ से अदालतों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित है। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो माह के अंदर नौ हजार से ज्यादा मामले निपटाए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। मुकदमों को निपटारे का यह रिकॉर्ड प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व में बना है। जस्टिस मिश्रा ने 28 अगस्त को प्रधान न्यायाधीश का प्रभार संभाला था। इस वर्ष 28 अगस्त से लेकर 27 अक्तूबर तक दो माह के बीच सुप्रीम कोर्ट में 7021 नए मामले दर्ज हुए जबकि इस अवधि के दौरान 9195 मुकदमों का निपटारा किया गया। यह स्थिति सुप्रीम कोर्ट में पहली बार हासिल की गई कि निपटाए गए मामलों की संख्या दर्ज मुकदमों से ज्यादा है। जस्टिस मिश्रा अगले साल अक्तूबर में सेवानिवृत्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह उपलब्धि तब हासिल की है जब छह जजों के पद रिक्त हैं। इससे एक बात साफ है कि जजों की संख्या से मुकदमों के निपटारे का कोई संबंध नहीं है। डिप्टी रजिस्ट्रार राकेश शर्मा ने बताया कि इस निपटारे से सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को 60 हजार के अंदर रखने में सफलता मिली है। विधि अयोग ने वर्ष 1987 में सिफारिश की थी कि 50 न्यायाधीश प्रति दस लाख आबादी पर होने चाहिए लेकिन यह आदर्श स्थिति हासिल नहीं हो सकी है। उत्तर प्रदेश में यह अनुपात सबसे कम 10 लाख की आबादी पर 10.54 न्यायाधीश है। पांच शीर्ष न्यायाधिकरणों में साढ़े तीन लाख मामले लंबित विधि आयोग की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के पांच शीर्ष न्यायाधिकरणों में करीब साढ़े तीन लाख मामले लंबित हैं। इनमें अकेले आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में  91 हजार मामले लंबित हैं। पैनल ने विधि मंत्रालय को शुक्रवार को सौंपी अपनी रिपोर्ट असेसमेंट ऑफ स्टैटुटरी फ्रेमवर्क ऑफ ट्रिब्यूनल्स इन इंडिया में कहा कि न्यायाधिकरणों में मामलों के निपटारे की दर प्रति वर्ष दर्ज होने वाले मामलों की तुलना में लगभग 94 प्रतिशत है, फिर भी लंबित मामले अधिक हैं। इसमें कहा गया कि न्यायाधिकरणों की अवधारणा ही इस लिए बनाई गई थी कि नियमित अदालतों में न्याय प्रशासन में देरी और बैकलॉग की समस्या से निपटा जा सके।  रिपोर्ट के अनुसार, कुछ न्यायाधिकरणों के कामकाज के संबंध में आधिकारिक रूप से उपलब्ध आंकड़े संतोषजनक तस्वीर पेश नहीं करते  हैं। जुलाई 2017 तक केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में 44,333 लंबित मामले थे। वहीं 30 सितंबर 2016 तक रेलवे दावा न्यायाधिकरण में 45,604 लंबित मामले थे। इसी प्रकार से तीन जुलाई 2016 तक ऋण वसूली न्यायाधिकरण में 78,118 मामले लंबित थे, वहीं 2016 के अंत तक सीमाशुल्क, आबकारी और सेवा कर अपील न्यायाधिकरण में 90,592 लंबित मामले थे। इस प्रकार से पांचों न्यायाधिकरणों में कुल 3,50,185 मामले लंबित हैं।


Check Also

1

1

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *