सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
काले कौवे के रंग पहने कोट वालों ने
भारतीय सनातन संस्कृति की जड़ों पर
तीसरा धारदार हमला किया है
पहला हमला भारतीय अस्मिता पर
तब हुआ जब श्रीराम के मन्दिर का विध्वंस किया गया
दूसरा हमला भारत की संस्कृति पर
तब हुआ था जब गऊ माता की अस्मिता पर
हमला किया गया था।
भारतीय संस्कृति का मूल
कुदरत के साथ सामन्जस्य
बैठाकर चलने की प्रेरणा देता है
इस प्रेरणा से मानव अपने कर्मों के माध्यम से
स्वयं को पशुओं से बेहतर बनाए रखने की कोशिश करता है
संविधान के रखवालों ने अपनी मानसिकता उजागर करते हुए
ऐसा फैसला दिया है जो मानव को
पशुओं से बदतर बनाने की राह दिखा रहा है।
संविधान के रखवालों ने
वेदों, उपनिषदों, रामायण और श्रीमद्भगवतगीता को
एक झटके में ताक पर रख दिया है
इतराते और इठलाते हुए
नैतिकता का सर्वनाश करने का गुनाह किया है।
संविधान के रखवालों की यह तजवीज
भारतीय समाज में सीमा तोड़ अराजकता को बढ़ावा देगी
समाज में चल रहा नैतिक पतन सारे रिकार्ड तोड़ देगा
सत्तर सालों में संविधान के विरोधी जो न कर सके
वह दो दिन पहले मौजूदा काले कोट धारियों ने कर दिखाया।
आने वाले समय में
समाज को व्यवस्थित रखने वाले संस्थानों को
तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा
इन लोगों ने कथित उदारता के नाम पर
संविधान का रखवाला होने के नाम पर
संविधान की आत्मा यानी नैतिकता को तार-तार कर दिया है
-इति