लौट कर आऊँगा
मुक्ति न चाहूँगा
पावन भारत भूमि पर
गीत कर्म के फिर-फिर गाऊँगा।
हिन्दू ही रहना चाहूँगा
समरसता के स्वर उच्चारूँगा
तन मन फिर-फिर वारूँगा
भारत माता की चरण वन्दना को
हर साँस मैं सवारूँगा
मंत्र फूक जाऊँगा
समर्थ भारत की राह उकेर जाऊँगा
लौट कर फिर आऊँगा।
लौट कर फिर आऊँगा
मुक्ति न चाहूँगा
खौलते अंगारो पर भी
नया श्रृंगार रचाऊँगा
पीठ न कभी दिखाऊँगा
मुक्ति कभी न चाहूँगा
माँ भारती की सेवा में फिर खप जाऊँगा।
प्यारे भारतीयो
लौट कर ज़रूर आऊँगा
कर्म योद्धा कहलाऊँगा
वीर रस बन जाऊँगा
आशा के दीपों से
भारत का ज़र्रा-ज़र्रा दमकाऊँगा
देश की जुबान पर
अटल सत्य बन घुल जाऊँगा
न मैं भूल पाऊँगा
न भुलाया जाऊँगा।
Virendra Dev Gaur (Veer Jhuggiwala)
Chief Editor (NWN)