देहरादून (संवाददाता)। गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान के आंदोलन को रविवार को नन्हें मुन्ने बच्चों का समर्थन भी मिला। इस दौरान दून के इन बच्चों ने हाथों में गैरसैण राजधानी के बैनर लेकर गैरसैण को राजधानी बनाए जाने की मांग की। वहीं धरना स्थल पर भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कर्नल वीके नौटियाल ने कहा कि देश के नौकरशाहों पर भी सैनिकों की तरह विषम परिस्थिति में काम और तबादलों की कार्रवाई की जानी चाहिए। तब उन्हें मालूम पड़ेगा कि कम सुविधाओं और परेशानियों में पहाड़ का आदमी कैसे जीवन यापन करता है। इससे पूर्व परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर रविवार को आरटीआई क्लब के अध्यक्ष डा. बीपी मैठाणी ने कहा कि गैरसैण पर यदि सरकार की मंशा साफ होती तो अब तक गैरसैण में अवस्थापना विकास के कार्य पूर्ण हो चुके होते। उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी मंशा तुरंत साफ करनी होगी। उन्होंने कहा कि छोटे से प्रदेश में दो राजधानी, दो विधान भवन, एक नया प्रस्तावित भवन होना अचरज और मूर्खता भरा है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की भांति जल, जंगल और जमीन के अधिकार उत्तराखंड के लोगों को मिलने चाहिए। वहीं इंजीनियर एपी जुयाल ने कहा कि गैरसैण अभियान का धरना रविवार को 28वें दिवस में प्रवेश कर गया है। लेकिन सरकार के किसी भी नुमाइंदे का धरना स्थल पर न पहुंचना सिद्द करता है कि इनके मन में गैरसैण को लेकर दोहरी मानसिकता बैठी है। कर्नल नौटियाल ने राजनेताओं से आग्रह किया है कि वह नौकरशाहों की कठपुतली बनकर काम करना छोड़ दें। गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान को समर्थन देने वालों में अधिवक्ता बीपी नौटियाल, लोकतांत्रिक विकास संगठन के एपी जुयाल, सेवानिवृत्त कर्नल वीके नौटियाल, पौडी जनपद के सतपुली क्षेत्र से मनीष कुकसाल अनूप पंत, मनीष सुंदरियाल, जन सरोकार मंच द्वाराहाट के मोहन कांडपाल, भार्गव चंदोला, विनीता मैंदोली, मोहनी चौहान, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मनोज ध्यानी हर्ष मैंदोली, मदन भंडारी, सुबोध रतूडी, सुनील पुरोहित, दिनेश गुसांई, चंद्रभानू भट्ट, वीरेंद्र सिंह नेगी, रविंद्र प्रधान, गणेश धामी आदि उपस्थित रहे।
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