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पलायन रोकने के लिये दूरदराज के क्षेत्रों में सड़कों एवं दूरसंचार व्यवस्थाओं का विकास किया जा रहा है: त्रिवेंद्र सिंह रावत

चीनी घुसपैठ को रोकने हेतु आवश्यक है कि इन दूरदराज के क्षेत्रों में आबादी बसी रहेः त्रिवेंद्र सिंह रावत

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मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, शनिवार को गंगटोक, सिक्किम में चीन की सीमा से सटे राज्यों के मुख्यमंत्रियों/गृहमंत्रियों की बैठक में शामिल हुए। इस बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा की गयी। बैठक में सीमा पर अवस्थापना सुविधाओं, राज्य और आई.टी.बी.पी. के मध्य समन्वय, बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम आदि मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गयी। बैठक के दौरान अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखण्ड के तीन जनपदों पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी की 375 कि0मी0 लम्बी सीमा, सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। राज्य के दूरस्थ एवं अति दुर्गम क्षेत्र होने के कारण भी तिब्बत से लगी उत्तराखण्ड की सीमा सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारत-चीन सीमा की सुरक्षा का उत्तरदायित्व आई.टी.बी.पी. पर है। सीमा क्षेत्र में आई.टी.बी.पी., सेना, आई.बी., राज्य पुलिस आदि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा समन्वय बनाकर सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार दूरस्थ क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि चीनी घुसपैठ को रोकने हेतु आवश्यक है कि इन दूरदराज के क्षेत्रों में आबादी बसी रहे। राज्य सरकार द्वारा पलायन रोकने के लिये इन दूरदराज के क्षेत्रों में सड़कों एवं दूरसंचार व्यवस्थाओं का विकास किया जा रहा है। ऐसे क्षेत्रों में रोजगार सृजन हेतु योजनाएं बनायी जा रही हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु अस्पतालों में चिकित्सकों की तैनाती और विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती सरकार की प्राथमिकता है। सीमान्त क्षेत्रों में भेड-बकरी पालन और ऊन विपणन को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा 01 करोड़ रूपये के कोष की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1962 से पूर्व भारत तिब्बत के मध्य व्यापार खुले रूप में चल रहा था। परन्तु 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद यह व्यापार बन्द कर दिया गया। वर्ष 1991 में चीनी प्रधानमंत्री के भारत आगमन पर एक मसौदे के तहत 1992 से व्यापार शुरू किया गया। वर्तमान में उक्त व्यापार की व्यवस्था वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन पिथौरागढ़ द्वारा की जाती है। पिछले वर्ष 6 करोड़ रूपये का व्यापार दर्ज किया गया। गुंजी में ट्रेड ऑफिसर द्वारा भारतीय व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन कर उन्हें ट्रेड पास जारी किये जाते हैं। इस क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा व्यापारियों की समस्याओं को सुनकर उनके समाधान हेतु रास्ता निकाला जा रहा है। उन्होंने भारतीय व्यापारियों द्वारा जनपद पिथौरागढ़ के नाभिढांग एवं कालापानी क्षेत्र में व्यापारी भवन का निर्माण तथा स्थाई ट्रेड अधिकारी की नियुक्ति सहित क्वारनटाईन कार्यालय खोले जाने की मांग का उल्लेख भी किया। भारत सरकार की ओर से चमोली के सिविल अधिकारियों क दल द्वारा लगभग प्रत्येक वर्ष में 04 बार (जून से अक्टूबर माह) बाड़ाहोती में भ्रमण कर उपस्थिति दर्ज करायी जाती है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तिब्बत सीमा क्षेत्र से बाड़ाहोती में पिछले वर्षों में चीनी गतिविधियां बढ़ने पर चिंता व्यक्त की। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चमोली में घस्तौली-रत्ताकोना(लगभग 51 किमी), नीति-ग्याढुंग(लगभग 33 किमी), मलारी-अपर रिमखिम(लगभग 40 किमी) एवं पिथौरागढ़ में मुनस्यारी-बुगड्यार-मिल्लम मोटर मार्ग(लगभग 62.31 किमी), घटियाबगड़-लिपुलेख मोटरमार्ग(लगभग 75 किमी), गुंजी-जौलीग्कांग मोटर मार्ग(लगभग 32 किमी) बी.आर.ओ. द्वारा बनाया जा रहा है। इसके साथ ही जनपद उत्तरकाशी में भैरोंघाटी-नेलांग मार्ग(लगभग 23.6 किमी), नागा-सोनम मार्ग(लगभग 11.65 किमी), नागा-नीलापानी(लगभग 11 किमी) एवं नेलांग-नागा रोड़(लगभग 8.10 किमी) बनाया जाना प्रस्तावित है।

                                                                                                                                                                                                              (सू0वि0)

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