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भारत में पहली बार चार दिवसीय ऑनलाइन माहवारी प्रशिक्षण सत्र का आयोजन

 

? परमार्थ निकेतन, ग्लोबल इटरफेथ वाश एलायंस की उत्कृष्ट पहल

-30 से 40 करोड़ महिलायें प्रतिमाह गुजरती है मासिक धर्म से

–चार दिवसीय मासिक धर्म सुरक्षा प्रशिक्षण सत्र के माध्यम से माहवारी की प्रक्रिया, उससे सम्बंधित मिथक, समाज पर पडने वाले प्रभाव, व्यवहार और दृष्टिकोण में परिवर्तन, विद्यालय, सामुदायिक स्थलों के शौचालयों की स्वच्छता जैसे अनेक विषयों पर प्रशिक्षण

? ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस और जल आपूर्ति स्वच्छता सहयोग परिषद् (डब्ल्यू एस एस सी सी) के संयुक्त तत्वाधान में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण

-पीड़ा से प्रेरणा की यात्रा

? गोदी से गद्दी तक की यात्रा कराती है नारी शक्ति – पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

देहरादून / ऋषिकेश (दीपक राणा)। ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस, परमार्थ निकेतन द्वारा चार दिवसीय ऑनलाइन ’’मासिक धर्म सुरक्षा एवं स्वच्छता प्रबंधन’’ सत्र का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि मासिक धर्म केवल महिलाओं का विषय नहीं है बल्कि यह तो एक परिवार, समाज, राष्ट्र और समष्टि को आगे बढ़ाने की ओर पहला कदम है। प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण ’पीड़ा से प्रेरणा’ की यात्रा है।
स्वामी जी ने कहा कि जब तक हम अन्तिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचते तब तक हम भारत की आत्मा को नहीं छू सकते। मासिक धर्म सुरक्षा अर्थात देश की आधी आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा है। इससे बेटियाँ की शिक्षा और स्वास्थ्य की रक्षा होगी तभी हम सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकते है। किसी भी राष्ट्र के चहुमुखी विकास के लिये समाज की सोच, शिक्षा और वहां के लोगों का स्वस्थ होना नितांत आवश्यक है। स्वामी जी ने इस सत्र में शामिल हुयी नारियों से कहा कि अपनी शक्ति को पहचाने, नारी तु नारायणी। नारी, एक पुरूष को गोदी से गद्दी तक पहुंचाती है इसलिये पर महान है, बस उसे अपने को पहचानने की जरूरत है।
जीवा का अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि माहवारी कोई बीमारी या परेशानी नहीं बल्कि यह ईश्वरीय वरदान है। ईश्वर ने नारी को बच्चों को जन्म देने की शक्ति प्रदान की है और उसका सीधा सम्बंध मासिक धर्म से है। मासिक धर्म आने के पहले और मासिक धर्म बंद होने के बाद कोई भी महिला माँ नहीं बन सकती इसका मतलब यह है कि मासिक धर्म है तो ही महिलायें बच्चों को जन्म दे सकती है इसलिये मासिक धर्म महिला के लिये किसी वरदान से कम नहीं है।

जीवा की प्रोग्राम डायरेक्टर सुश्री गंगा नन्दिनी जी ने बताया कि कोविड-19 के दौरान अनेक स्थानों पर महिलाओं के पास पर्याप्त मात्रा सेनेटरी नैपकिन की उपलब्धता नहीं थी, इस महामारी के दौर में जब लोग अपने घरों को वापस लौट रहे है उस समय जल का अभाव भी देखा गया जिससे स्वच्छता उनकी स्वच्छता प्रभावित हुयी और सैनेटरी नैपकिन के निपटारण की भी अव्यवस्था कई स्थानों पर देखी गयी। इन सब विषयों को ध्यान में रखते हुये हमने ऑनलाइन चार दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जिसमें उन सभी बातों को शामिल किया जो मासिक धर्म के दौरान हमारी बालिकाओं और महिलाओं के लिये जरूरी है। उन्होंने बताया कि हम इस विषय पर एक दिवसीय सत्र का भी आयोजन करते है ताकि हमारी बेटियों को माहवारी से सम्बंधित सही जानकारी प्राप्त हो सके। साथ ही व्यक्तित्व विकास, व्यवहार और दृष्टिकोण में परिवर्तन, विद्यालय, सामुदायिक स्थलों के शौचालयों की स्वच्छता, सैनेटरी पैड का सुरक्षित निपटरण और अपने लिये काॅटन के कपड़ों से सेनेटरी नैपकिन का निर्माण करना आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मासिक धर्म सुरक्षा एवं स्वच्छता प्रबंधन की चार दिवसीय ऑनलाइन सत्र का प्रथम दिवस था जिसमें महिलाओं और पुरूष शिक्षकों ने सहभाग किया।

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