नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत ने 81 वर्षीय पूर्व आईएएस अधिकारी को अवैध रूप से हथियार रखने के 32 साल पुराने मामले में पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अनु अग्रवाल ने सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया को दोषी ठहराया और उन पर 1.50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने कहा कि अभियुक्त व्यवस्था का जानबूझकर और सुनियोजित तरीके से लाभ उठाने के दोषी हैं। सेवारत आईएएस अधिकारी होने के नाते उन्हें कानून के शासन को कायम रखना था लेकिन उन्होंने इसके विपरीत काम किया और शस्त्र कानून का उल्लंघन करते हुए हथियार खरीदे। इस क्रम में उन्होंने जालसाजी भी की। सीबीआई ने 31 अगस्त, 1987 को अहलूवालिया के खिलाफ हथियार रखने के लिए मामला दर्ज किया था। उस समय वह नगालैंड में सचिव और आयुक्त (श्रम और रोजगार) थे। एजेंसी ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में दिल्ली तथा कोहिमा में उनके घरों की तलाशी ली थी। इस क्रम में एक कारबाइन और एक चेकोस्लोवाकियन राइफल सहित पांच बंदूकें और 328 गोलियां मिली थीं। वह कथित रूप से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने को लेकर जांच के दायरे में आए थे। संपत्ति में वातानुकूलित सिनेमा घर के अलावा दिल्ली, ग्वालियर और चंडीगढ़ के पॉश इलाकों में संपत्ति शामिल हैं। अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता और शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया।
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