राष्ट्र की खाने वालो
तमिल की गाने वालो
भाषावाद से राजनीति की जड़ें जमाने वालो
ओ डी एम के वालो
भाषा और क्षेत्र को लेकर तुम्हारी कट्टरता
मुस्लिम कट्टरता से मेल खाती है
मुझे तुम्हारे कबीलाईपना पर शर्म आती है।
फिर दे रहो हो वही पैंसठ वाली धमकी
तुमने तिरसठ में नेहरू जी को भी दी थी धमकी
अरे डी एम के वालो
राष्ट्रवाद सबसे बड़ा धर्म है
भाषावाद और क्षेत्रवाद कुकर्म है।
अंग्रेजी देती है तुम लोगों को एनर्जी
हिन्दी से होती है तुमको एलर्जी
ये तुम्हारी अनैतिक खुदगर्जी
तुम्हारी देशद्रोही मनमौजी-मनमर्जी
तुम्हारा तमिल प्रेम है बिलकुल फर्जी।
जानी तब नेहरू जी की अच्छी बात मान लेते
हिन्दी को दफ्तरी भाषा बन जाने देते
तो आज तमिल पूरे देश में होती
भारतवासी वही है सच्चा
जिसे भारत की सभी भाषाओं से हो प्यार सच्चा
तुुम द्रवीडियन का राग अलापने वाले
राष्ट्रवाद की मंशा क्या जानो
जानते नहीं संस्कृत है सब भारतीय भाषाओं की माता
किन्तु फिर भी तुम हिन्दी विरोध की आग जलाता
ओछी राजनीति के अलावा जानी तुम्हे कुछ नहीं आता।
Virendra Dev Gaur
Chief editor