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सीएम धामी ने ‘‘सीमान्त क्षेत्रों में आपदा प्रभावित महिला केन्द्रित आजीविका प्रबन्धन कार्यक्रम’’ का किया शुभारम्भ

देहरादून (सूचना विभाग)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्तमान में विकास योजनाएं उनके लिए बन रही है जिन्हें वास्तव में उनकी आवश्यकता है। स्वच्छ भारत, उज्ज्वला, हर घर शौचालय जैसी योजनाएं प्रत्यक्षतः आमजनमानस को प्रभावित करती हैं। आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने आम नागरिक के जीवन में मूलभूत बदलाव किया है। आज जरूरतमंद एवं साधनविहीन लोग भी अपना उपचार बेहतरीन अस्पतालों में करवाने में सक्षम हैं, जिनके बारे में पहले वे सोच भी नही सकते थे। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आयुष्मान योजना के सम्बन्ध में अस्पतालों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी कार्डधारक के इलाज में विलम्ब की शिकायत नही आनी चाहिए। उत्तराखण्ड सरकार आमजनमानस की सुविधा के लिए सरलीकरण के मार्ग पर चल रही है। हम अपने सीमावर्ती गांवों का विकास इस प्रकार करना चाहते हैं ताकि यह देश और विशेषकर हिमालयी राज्यों के लिए एक मॉडल बने। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सीमान्त जनपद चंपावत को मॉडल जनपद के रूप में विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में च्च्सीमान्त क्षेत्रों में आपदा प्रभावित महिला केन्द्रित आजीविका प्रबन्धन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उल्लेखनीय है कि एसबीआई फाउण्डेशन, हैस्को तथा यू कॉस्ट के सम्मिलित प्रयासों से च्च्सीमान्त क्षेत्रों में आपदा प्रभावित महिला केन्द्रित आजीविका प्रबन्धन कार्यक्रमज्ज् तहत राज्य के सीमान्त क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका, स्वरोजगार के अवसरों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उक्त कार्यक्रम के तहत १० सीमावर्ती गांवों में वहां की आर्थिकी और पारिस्थितिकी के साथ ही आपदाओं की चुनौतियों को भी समझते हुए यहां के स्थानीय जनसमुदाय को सबल आजीविका के साथ तैयार किया जाएगा। यूकॉस्ट द्वारा जानकारी दी गई कि राज्य के प्रतिष्ठित साइंस कांग्रेस को आगामी वर्ष १०११ फरवरी को ज्ग्राम्य विज्ञान सम्मेलनच् (त्नतंस ैबपमदबम ब्वदहतमेे) के रूप में आयोजित किया जा रहा है। इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य में पहली बार ज्अन्तराष्ट्रीय आपदा सम्मेलनच् का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देशदुनिया के सैकड़ों प्रतिनिधि प्रतिभाग करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सीमावर्ती गांव हमारे लिए अमूल्य हैं, ये मात्र हमारे सीमान्त प्रहरी नहीं बल्कि अमूल्य धरोहर भी हैं। सीमान्त क्षेत्र हमारी जड़े हैं, इनकों निरन्तर सिंचित किया जाना चाहिए। गांव और शहरों की असमानता को दूर करके ग्राम आधारित सशक्त आर्थिकी को आधार बनाना ही राज्य सरकार का मूलमंत्र है। हम ज्माणामुन्स्यारीच्, ज्असकोटआराकोटच् के सीमान्त क्षेत्रों के गांवों को ज्अन्तिम गांवोंच् के स्थान पर माननीय प्रधान मंत्री जी की संकल्पना के अनुरूप ज्प्रथम पंक्तिच् के प्रथम गांवों की तरह विकसित करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। हमनें बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत इन्हीं गांवों को एक प्रहरी का रूप भी दिया है जिसे प्रधानमंत्री जी ने अपने स्तर पर गहन चिंतनमंथन कर इनको आगे बढ़ाने का सकंल्प लिया है। इस अवसर पर हैस्को संस्थापक डा० अनिल प्रकाश जोशी जी, महानिदेशक, यूकॉस्ट प्रो० दुर्गेश पंत, संस्थापक, एस०बी०आई० फाउन्डेशन  ललित मोहन, डी०जी०एम०, एस०बी०आई०  राजकुमार सिंह, एस०बी०आई० जनरल अन्यया मोहन्ती, एस०बी०आई० जनरल किलफोर्ड डी कोस्टा तथा सीमान्त गांवों से महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य उपस्थित थी।


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