Breaking News
jansaur

जौनसारियों ने किया बुड्ढी दीवाली का स्वागत

दिप्ती नेगी (रिपोर्टर)



jansaur

उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र में वहां की प्रसिद्ध “बुड्ढी दीवाली “की शुरुआत हो चुकी है। समूचे उत्तर भारत में मनाये जाने वाली दीवाली के एक महीने बाद मनाये जाने वाली बुड्ढी दीवाली की जौनसार क्षेत्र में अलग-अलग मान्यता है। पुरानी मान्यता के अनुसार भगवन राम जब रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे तो पहाड़ के इन क्षेत्रो में उनके आगमन की सूचना देरी से पहुँची थी जिस कारण यहाँ 1 महीने बाद दीवाली आयोजित की जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि वृतासुर नामक राक्षस ने अपनी ताकत से आग और पानी पर आधीपत्य कर लिया था और पूरे ब्रह्मांड पर कब्ज़ा करना चाहता था, उस वक़्त मासू नामक बालक ने अपने तीन भाइयों के साथ मिलकर वृतासुर का वध किया था और माना जाता है कि मासू भगवान शिव का ही रूप थे। भगवान शिव के इसी रूप को पूजने के लिए और बुराई पर अछाई की जीत दर्शाने के लिए बुड्ढी दीवाली मनाई जाती है। परन्तु कालसी तहसील के समाल्टा गांव के निवासियों के अनुसार यह त्यौहार उनकी अखरोट, धान आदि प्रमुख फसलों के कटाई के बाद मनाया जाता है और ‘माघ’ व ‘बिस्सू’ आदि मेलों का आयोजन किया जाता है। यह त्यौहार तक़रीबन 7 दिनों तक चलता है जिसमे स्थानीय चिवड़ा, झंगोरे से तैयार पकवान मेहमानो को खिलाते है। पहले दिन दीवाली की सुरुवात कर दूसरे दिन रात्रि में होलियात खेलते है, तीसरे दिन भिरुड़ी का आयोजन होता है तथा चौथे दिन मुख्या भांड का आयोजन होता है। पांचवें दिन पर्व को विदाई देते हुए पांडव नृत्य प्रस्तुत किया जाता है। इस दौरान लोग थालका व् लोहिया जैसा लंबा कोट पहनते है और बिजरी, सुल्तान हरोल,रासो आदि लोक गीतों पर आग के आस पास पूरी रात जौनसारी वाद्य यंत्रो पर नृत्य करते है।

Check Also

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को दिए निर्देश जनसेवाओं में सुधार, सड़कों की मरम्मत, पेयजल आपूर्ति व वन अग्नि नियंत्रण पर दिया जाए विशेष जोर

देहरादून (सू0वि0)। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को दिए निर्देश जनसेवाओं में सुधार, सड़कों की मरम्मत, पेयजल …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *