पौड़ी (संवाददाता)। कोट ब्लाक में हर साल आयोजित होने वाले मनसार के मेले में सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। यह मेला भगवान राम और सीता के विवाह के रूप में मनाया जाता है। 3 गांवों के ग्रामीण मिलकर इस मेले का आयोजन करते है। देवल गांव भगवान राम का घर, फलस्वाड़ी सीता का घर और कोटसाड़ा को सीता का ननिहाल माना जाता है। कोट ब्लाक में आयोजित होने वाले इस मेले को भगवान राम और सीता के विवाह के रूप में मनाया जाता है। हर साल द्वादशी के दिन लगने वाले यह मेला देवल गांव से शुरू होता है। यहां लक्ष्मण जी का मंदिर है, जहां से भगवान राम की बारात निकलती है। जिसमें ग्रामीण लक्ष्मण के मंदिर की पूजा अर्चना कर ढोल-दमाऊं और पूरी रीति-रिवाज के साथ निकलते हैं। बारात के रूप में सभी ग्रामीण ढोल-दमाऊं की धुनों पर नाचते हुए आस-पास के गांव से होते हुए सीता के घर फलस्वाड़ी गांव पहुंचते हैं। मंदिर समिति के सचिव प्रदीप भट्ट ने बताया कि जब भगवान राम के द्वारा मां सीता को जंगल भेजा गया था तो लक्ष्मण जी ने सीता को फलस्वाड़ी गांव में ही छोड़ा था। जिसके बाद सीता यहीं धरती में समा गई थी। कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि इसी धरती के नीचे मां सीता का मंदिर भी है। जब मेले के दौरान यहां खुदाई की जाती है तो मंदिर के ऊपरी हिस्से पत्थर का एक टुकड़ा निकलकर आता है। मंदिर के पुजारी पंडित नरेश चंद्र बताते हैं कि फलस्वाड़ी गांव में रहने वाले ब्राह्मणों को एक रात पहले सपने में मां सीता बताती है कि मंदिर के पास वाले खेत में वह कहां पर विराजमान है। निशान में लगी लकडिय़ों से ही खेत की खुदाई की जाती है। धरती के नीचे मां सीता के मंदिर के ऊपरी हिस्से का एक पत्थर निकल कर आता है। साथ ही मेले के दौरान खेतों से मां सीता जटा जिन्हें गढ़वाली भाषा में बबला कहा जाता है। जिससे रस्से की तरह लंबा कर इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है।

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