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भारतीय सैन्य प्रशिक्षण संस्थान देहरादून की माँ भारती को अनुपम भेंट

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    (1)

किसान का बेटा

आकाश दीप सिंह ढिल्लन
तुमने हासिल की प्रतिष्ठित ‘‘ सम्मान सूचक तलवार’’
कड़ी मेहनत और लगन से हुए तुम इस सम्मान के हक़दार
तुम्हारे पिता हैं पंजाब में एक मेहनती किसान
वे हैं अन्न पैदा करने वाले भगवान
तुम अन्नदाता के फौजी अफसर हो नौजवान
हम सब हैं माँ भारती की सन्तान
हमें माँ भारती से मिली है ये जान
माँ भारती का रखना सदा मान
तुम्हारा सौभाग्य कि पूरा हुआ तुम्हारा अरमान
जय जवान जय किसान जय हमारी माँ भारती महान।
      (2)
ऑटो चालक का बेटा

तुम भी हुए फौजी अफसर सार्थक धवन
तुम्हारी माता जी होतीं सशरीर इस दुनिया में
बहुत प्रसन्न होतीं वर्दी में देखकर तुम्हे
शायद कहतीं रखना दूध की लाज
करना मेरे लाल सदा ऐसे काज।
फौजी वर्दी नहीं है यह नौजवान
यह है बात तुम्हारे दूसरे जन्म की
यह खाल है तुम्हारे दूसरे जन्म की
यह ढाल है तुम्हारे दूसरे जन्म की
यह चाल है तुम्हारे दूसरे जन्म की
यह भूचाल है देश के वीरों की।
तुम जय जवान बनो
कोई जय किसान बने
कोई जय विज्ञान बने
कोई जय विद्वान बने
जय भारत महान से महान बने।
     (3)
दो बूँदे आँसू मेरे भी

दुख पिघलता है
आँसू में ढलता है
बह जाता है टपक कर
तो दो बूँदे आँसू मेरे भी सुशांत।
संघर्ष जीवन में
माँजता है
घिसता है
तराशता है
चमकाता है अन्दर से
दमकाता है बाहर से
बना देता है लचीला-सजीला और मजबूत।
तो फिर हुआ क्या तुम्हे
जो हुआ और जो बताया गया
यकीन नहीं हो पा रहा है हरगिज मुझे।
मौत से करना दो-दो हाथ
बहुत बढ़िया है
मौत के सामने टेक देना घुटने
बहुत घटिया है
मौत तो चलती रहती है हमारे साथ साए की तरह
फिर तुम क्यों हो गए रुखसत इस तरह!
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।

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