
मेरे देश में
हो-हो मेरे देश में
पवन चले केसरिया।
हँसिया चली
हथोड़े पड़े
खूब खून-खराबे हुए
लाल खून में लथपथ झंडे
वामपंथ की अकड़ में तने हुए
एक-एक प्रदेश से हटेंगे झंडे
खून से सने हुए
क्योंकि मेरे देश में
हो- ओ मेरे देश में
पवन चले केसरिया।
त्रिपुरा नागालैंड मेघालय में
घर-घर बात चली
मुख्य धारा और विकास के लिये
केसरिया लहर उठी
केरल में भी झंडे की लाली
लोकतंत्र के खून से रंगी हुई
केसरिया से अभी तलक ये सुरक्षित बची हुई
कटा हाथ भूतिया पाकर यह झंडा भारत में फहराता रहा
समय आ गया इस धरती से कर दिया जाए इन्हे स्वाहा
उगते सूरज के रंग में रंग दें हम अपना देश महान
याद रखेगा सदियों तभी हमारे देश को दुनिया जहान
बाँट रहीं जो शक्तियां देश को निकाल दो इनकी जान
कर्नाटक में भी मुरझाए केसरिया में डाल दो जान
केसरिया में आन-बान है
केसरिया में शान
इसीलिये कह रहा वीर मैं
मेरे देश में चले
जोर-शोर से पवन केसरिया।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)
The National News