सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
श्री राम से विनम्र-निश्छल
गंगा पुत्र भीष्म से हठी-व्रती
हो जाते थे अस्त्र हीन
सामने आकर सब
बड़े-बड़े छली-कपटी।
पाया तुझमें देश ने ऐसा लाल
डरता था जिससे साक्षात काल
उठाने को भारत माता का भाल
रहता था तू तत्पर-तत्काल।
देश को दिखाई तूने राह
विदेशी शक्तियों की निकली आह
परमाणु परीक्षण की तेरी चाह
ले न पाई दुनिया अन्त तक थाह।
चलाई तूने भारत के इतिहास में ऐसी सरकार
तेरह दलों की चलती रही भीतरी तकरार
सरकार चलाने का तोड़ा तूने अहंकार
कांग्रेस को समय की लगी फटकार।
देश रहा पूरा तेरा घरबार
ठानी नहीं किसी से तूने रार
मानी नहीं कभी तूने हार
हृदय था तेरा आर-पार
समता-समरसता का सागर अपार।
हम लेते हैं तेरी सौगंध
भारत माता के गीत गाएंगे
बड़ी-बड़ी विपदाओं में भी अटल रहकर
तेरे सपनों का ‘सबल-समरस’ राष्ट्र बनाएंगे
दुनिया वाले चकित होकर
रह-रह कर शीश नवाएंगे।
-इति