रुद्रप्रयाग। बौंसारी गधेरे के पुनर्जीवन के लिए उसके शीर्ष से जलागम विकास के कार्य अब पूरी गति से चलेंगे। ग्राम जल संरक्षण-सम्वर्द्धन समिति की बैठक में इस पर सहमति हुई है। इसी के साथ ग्राम ज. सं. सं. समिति ने भी अपना कार्य आरम्भ कर दिया है। समिति द्वारा नामित 2 जल संरक्षक बहनें भी आगामी 1 अक्टूबर से रोपित पौधों व जलागम विकास के अन्य कार्यों की देखभाल और संरक्षण का कार्य आरम्भ कर देंगी। उनके कार्यों की निगरानी ग्राम समिति करेगी।
“बुध बुवनी, शुक्र लौवनी” की तर्ज पर 23 सितंबर 2020 को आगर गाँव के कार्तिक स्वामी मन्दिर प्रांगण में ग्राम जल संरक्षण-सम्वर्द्धन समिति आगर की अध्यक्ष मीना देवी की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में निर्णय लिया गया कि जिला प्रशासन एवं जल संरक्षण-सम्वर्द्धन न्यास, रुद्रप्रयाग द्वारा प्रस्तावित बौंसारी गधेरे के पुनर्जीवन के कार्य इस क्षेत्र में भी पूरी शक्ति से आरम्भ किये जायें।
जिलाधिकारी वन्दना सिंह ने पिछले वर्ष से आरम्भ इस कार्यक्रम का 7 सितंबर 20 को निरीक्षण किया था और इसके पूरे जलागम को उपचारित करने की आवश्यकता बताई थी। उन्होंने आगर गाँव में बैठक कर इसके महत्व को ग्रामीणों को समझाने व उनकी सहभागिता से इस कार्य को पूरा करने की मंशा जताई थी।
इसी क्रम में सिंचाई खण्ड के अधिशाषी अभियंता पी. एस. बिष्ट व उनके अधीनस्थ इंजीनियरों, जल संरक्षण-सम्वर्द्धन न्यास के प्रबंध न्यासी रमेश पहाड़ी एवं सचिव सतेंद्र भण्डारी ने इस बैठक में प्रतिभाग कर इसके सम्बन्ध में ग्राम समिति से विस्तृत चर्चा की। बैठक में ग्राम प्रधान दलीप सिंह राणा, वन पंचायत सरपंच मोहन सिंह राणा सहित उपस्थित ग्रामीणों ने इसे उपयोगी और गाँव के भविष्य के लिए आवश्यक बताते हुए इसका समर्थन किया। ज. सं. सं. न्यास की ओर से बताया गया कि वनों की उत्पादकता बढ़ाने, घास-चारे की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित करने, वर्षा जल को बेकार बहने से बचाकर भूजल भण्डारों के पुनर्भरण में उपगोग करने और मिट्टी के क्षरण को रोकने के लिए वन विज्ञानियों, पर्यावरण के जानकारों, जल संरक्षण विशेषज्ञों के परामर्श से पूर्व जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल जी ने प्रयोग के तौर पर इस गधेरे के पुनर्जीवन का कार्य आरम्भ करवाया था। इसे गधेरे के शीर्ष नैणी देवी पर्वत से अलकनन्दा के तट तक संरक्षित करने की योजना है। इस पूरी कार्ययोजना को जनसहभागिता से क्रियान्वित किया जा रहा है।
बैठक में तय किया गया कि नवम्बर में घास कटाई के बाद बंज्याणी नामक तोक में जलागम विकास के कार्य आरम्भ किये जायेंगे। इसमें उपयोगी वृक्षों, नैपियर आदि उन्नत घासों का रोपण, चाल-खाल का निर्माण, मृदा संरक्षण आदि कार्यों के साथ ही सुरक्षा बाढ़ के कार्य शामिल होंगे।
गाँव में महिलाओं की आर्थिकी में सुधार के लिए, उनके द्वारा प्रस्तावित कुछ नए उद्यम संचालित करने की सम्भावनाएं भी विशेषज्ञों के माध्यम से तलाशी जाएंगी।
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