Breaking News

पंचम धाम कम्बोडिया में स्थापित होगी भगवान शिव की विशाल प्रतिमा- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

-कम्बोडिया में भगवान शिव की प्रतिमा की स्थापना दो संस्कृतियों के मिलन का केन्द्र- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

-पंचम धाम कम्बोडिया के चैथे स्थापना दिवस पर अन्तर्राष्ट्रीय आनलाइन वेबिनाॅर।

-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सहभाग कर भारतीय संस्कृति पर व्यक्त किये विचार

ऋषिकेश (दीपक राणा)। पंचम धाम कम्बोडिया के चैथे स्थापना दिवस पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय आनलाइन वेबिनाॅर में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, माननीय श्री इंद्रेश जी, सूफी गायक श्री कैलाश खेर जी और देश-विदेश से अन्य गणमाण्य अतिथियों ने सहभाग कर भारतीय संस्कृति, मन्दिरों और मठों की महिमा पर अपने विचार व्यक्त किये।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कम्बोडिया में स्थित पंचम धाम के दिव्य प्रांगण में परमार्थ निकेतन की ओर से भगवान शिव की विशाल प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि परमार्थ गंगा तट पर विराजित भगवान शिव की विशाल प्रतिमा, अद्भुत दर्शन और आस्था का केन्द्र है उसी की तर्ज पर ही पंचम धाम जहां भगवान शिव के एक हजार आठ शिवलिंग स्थापित हैं, वहां पर शिव जी की विशाल प्रतिमा स्थापित की जायेगी। जो पर्यटकों एवं तीर्थटकों कि लिये आकर्षण और आस्था का केन्द्र बनेगी।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि मन्दिर केवल पत्थरों की एक इमारत नहीं बल्कि उसकी नींव, हमारी सदियों पुरानी संस्कृति और अटूट विश्वास के बल पर खड़ी रहती है। पंचम धाम की स्थापना वास्तव में दो संस्कृतियों के मिलन का प्रतीक है। भारत और कम्बोडिया के बीच समन्वय, सद्भाव, समरसता, एकता, भाईचारा, मित्रता का सर्वश्रेष्ठ प्रतीक बनेगा पंचम धाम मन्दिर। मन्दिर किसी भी राष्ट्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर होते हैं जो उस काल कि कला, संस्कृति, इतिहास और समृद्धि को दर्शाते हैं। आने वाली पीढ़ियों के लिये पंचम धाम भारत की गौरवशाली संस्कृति का प्रतीक होगा यह हमारी मूल्यवान संस्कृति एवं संस्कारों के संरक्षण और संवर्द्धन का केन्द्र बनेगा जो हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रसारित करने में और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने हेतु अमूल्य योगदान प्रदान करेगा।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य जी की दिव्य दृष्टि ने हमारी अद्भुत और गौरवशाली परम्परा के प्रतीक चार धामों को दिव्यता प्रदान की हैं। ये चारों धाम ज्ञान, भक्ति, आस्था, व्यवस्था और श्रद्धा के दिव्य स्थल हैं तथा आध्यात्मिक स्तंभ हैं, जहां से एकता और एकात्मकता की दिव्य धारा प्रवाहित होती है। इन चार धामों के दिव्य प्रांगण की रज, माटी, जल, पूज्य संतों और ऋषियों के आशीर्वाद से पांचवें धाम की स्थापना की नींव रखना और उसे मूर्त रूप देना वास्तव में पूरे भारत के लिये यह गर्व का विषय है। मन्दिर पूजा, आस्था, श्रद्धा, ऊर्जा और शान्ति के केन्द्र होते हैं। वास्तव में देखा जाये तो मन्दिर न केवल हमारी आस्था के प्रतीक हैं बल्कि वे दिव्यता, शुद्धता व शुचिता के केन्द्र भी हैं और इनकी शुद्धता और शुचिता को बनाये रखना हमारा परम कर्तव्य भी है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में वह शक्ति है जो कि पूरे विश्व को एक परिवार मानती है, सभी को स्वीकार करने, सभी को गले लगाने पर विश्वास करती है तथा विश्व की विभिन्न संस्कृतियों को लेकर आगे बढ़ने में विश्वास रखती है। पंचम धाम की स्थापना से कंबोडिया और भारत के मध्य पर्यटन और तीर्थाटन, व्यापार, सहकार और प्यार अधिक मजबूत होंगे, इससे सामाजिक सामंजस्यता भी आयेगी।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पांचवें धाम के संचालक, श्री शैलेश वत्स जी और उनकी पूरी टीम को धन्यवाद देते हुये कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों को कम्बोडिया की धरती पर रोपित करना, वास्तव में यह गौरव का विषय है।

Check Also

Bahis Heyecani: Mostbet’te Zengin Spor Bahis Secenekleri

Bahis Heyecani: Mostbet'te Zengin Spor Bahis Secenekleri

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *