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शवों के रात भर बजते रहे मोबाइल

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पंचकूला (नेशनल  वार्ता  संवाददाता) । बाबा गुरमीत रामरहीम को सीबीआई की विशेष अदालत के द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद से ही पंचकूला में भारी हिंसा फैली हुई है जिसमें कई लोगों की जानें भी चली गई। सूत्रों के मुताबिक, हिंसा में मारे गए मृतकों के शवों को पंचकूला सिविल अस्पताल के मुर्दाघरों में रखा गया है। जानकारी के मुताबिक, मृतकों के जेब में रखे मोबाइल फोन वहां भी रिंग हो रहे थे। अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक अब तक इनमें से किसी भी शव की पहचान नहीं हो पाई है। बताया जाता है कि अस्पताल में पड़े शवों में दो शव महिलाओं के है। इनमें सबसे कम उम्र के 15 और 17 वर्ष के दो युवक हैं। सबसे अधिक उम्र के एक 60 साल के वृद्ध हैं। सूत्रों के अनुसार, डॉक्टरों को मृतकों के रिंग होते हुए फोन को उठाने की इजाजत नहीं दी गई थी वरना दंगाई कफ्र्यू के बावजूद अस्पताल में पहुंचकर उत्पात मचाना शुरु कर देते। डॉक्टर्स ने कहा, हम उनके फोन्स को सुबह में रिसीव करेंगे। एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, मुर्दाघर में लाए गए सभी 17 को गोलियां लगी हैं, उन्हें गले, छाती और पीठ में गोलियां मारी गई हैं। उनमें से कुछ को पत्थरों से भी चोट पहुंचाई गई है। एक बार शवों की शिनाख्त हो जाए फिर उनका पोस्टमार्टम किया जाएगा। किसी भी शव के पास कोई पहचान पत्र नहीं पाया गया उनमें से अधिकतर गांववाले लग रहे थे, उन्होंने कुर्ता पायजामा पहन रखा था। पंचकूला सेक्टर 6 में शुक्रवार शाम से ही घायलों को सिविल अस्पताल पहुंचाया जा रहा था। जब पुलिस अस्पताल में स्थिति को नियंत्रण में नहीं कर पाई तो उन्हें अस्पताल के बाहर बैरीकेड लगाने पड़ गए। अस्पताल के एक स्टाफ ने बताया, अस्पताल के इमर्जेंसी वार्ड में भयावह स्थिति थी। स्ट्रेचर पर 100 लोग पड़े थे जिसमें से कितनों की मौत हो चुकी थी। किसी को पता नहीं था कि वे कौन हैं और उनके परिवार कहां हैं। इमर्जेंसी वार्ड में चारों तरफ खून ही खून फैला हुआ था। सभी डॉक्टरों की छुट्टियां कुछ दिनों के लिए रद कर दी गई है। दो आईपीएस अधिकारी सहित लगभग 50 पुलिसकर्मी भी पत्थरबाजी से घायल होकर भर्ती किये गए हैं। 55 लोगों को गंभीर अवस्था में चंडीगढ़ अस्पताल में पहुंचाया जा चुका है।

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