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हिमाचल की तर्ज पर हो उत्तराखंड में सुअर-बंदरों को मारने की व्यवस्था

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देहरादून (संवाददाता)। उत्तराखंड में खेती और सुअरों के आतंक से परेशान किसानों के लिए उत्तराखंड किसान सभा ने हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर प्रदेश भी में सुअर और बंदरों को किसान का दुश्मन घोषित कर मारने की व्यवस्था करने की मांग की है। साथ ही जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान पर मुआवजा, फसलों का बीमा, पशु व्यापार के प्रतिबंध को समाप्त करने की मांग की है।
हिंदी भवन में रविवार को उत्तराखंड किसान सभा की ओर से जंगली जानवरों व आवारा पशुओं की समस्या एवं निदान विषय पर सेमिनार का कन्वेनशन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जनगीत से हुई। इंडियन किसान काउंसिल के सदस्य प्रो. विकास राउल ने कहा कि 4-5 साल से खेती की स्थिति पर सरकार हमला कर रही है। 2017 के बाद पशुओं की खरीद फरोख्त पर सरकार ने रोक लगायी है। फिर अपने गौरक्षा दल के बल पर सरकार पशुओं की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाती रही है। उसके कारण पशुपाल की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। अगर किसान पशु बेच नहीं पाएगा, खरीद नहीं पाएगा तो बूढ़े जानवरों का क्या होगा। किसान किस तरह पशुपालन कर सकेगा। अगर बेचने की सुविधा को रोक देंगे, तो पशु को आवारा छोड़ देंगे या वह भुखमरी से मर जाएगा। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में आवारा पशुओं के साथ ही जंगली जानवरों की समस्या भी किसानों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। इससे खेती में किसाना का मुनाफा कम हो जाता है। इस बारे में सरकार को सोचना पड़ेगा। इसलिए सरकार को नुकसान की भरपाई करनी पड़ेगी। जानवर खेतों में क्यों आ रहे हैं, उसको रोकने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। बंदरों की संख्या बढ़ रही है, तो उनको कम करना होगा। प्राकृतिक संसाधनों का किस तरह से सुनियोजित उपयोग कर सकते हैं, यह सोचना होगा। मनुष्य अपनी अर्थव्यवस्था चलाती रहेगी और प्रकृति अपनी तरह से चलेगी, ऐसा नहीं हो सकता। सरकार को ऐसे इलाकों को देखना हो जहां जंगली जानवर रखे जा सकते हैं, लेकिन उनकी संख्या को भी सरकार को देखना होगा। किसान सभा के प्रदेश महामंत्री गंगाधर नौटियाल ने कहा कि सांड, बैल, गाय, भैंस, बछड़ा,ऊंट आदि की बिक्री पर केंद्र सरकार के प्रतिबंध ने डेरी फार्मिंग, चर्म उद्योग, मीट उद्योग प्रभावित हुए हैं। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश किसान सभा के महामंत्री डा. कुलदीप तंवर, उत्तराखंड किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवाण, पूर्व अध्यक्ष बच्चीराम कौंसवाल, कोषाध्यक्ष शिव प्रसाद देवली, मोहन पांडे, मोहन सिंह रावत, नरेंद्र सिंह, प्रताप सिंह, भोपाल सिंह, बस्तीलाल, अनंत आकाश, शेर सिंह, राम सिंह, मामचंद, लेखराज समेत अन्य मौजूद रहे।

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