
रुद्रप्रयाग (संवाददाता)। सरकार के उत्तराखंड के चारधाम सहित 51 मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अधीन बनाकर संचालित करने के फैसले के विरोध में गुप्तकाशी में तीर्थपुरोहितों ने प्रदर्शन किया। साथ ही मुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री का पुतला दहन कर विरोध जताया। गुप्तकाशी में प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि सरकार के इस फैसले से राज्य के सभी मंदिरों में तीर्थपुरोहित एवं लोगों में आक्रोश है। केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि उत्तराखंड के चारों धामों को श्राइन बोर्ड से जोडऩे की कवायद पूरी तरह सरकार का गलत निर्णय है। साथ ही पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा स्थानीय हक हकूक धारियों तथा तीर्थ पुरोहित समाज को विश्वास में नहीं लेकर सहमति देना लोगों के साथ अन्याय है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य केशव तिवारी ने कहा कि वैष्णो देवी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड का गठन स्थानीय व्यवसायियों, तीर्थ पुरोहित समाज तथा घोड़ा कंडी चालकों के लिए आफत बनकर आएगा, उन्होंने कहा कि केदार पुरी में तीर्थ पुरोहित समाज के द्वारा तीर्थ यात्रियों की सभी सुविधाओं को देखा जाता है। देशभर में भ्रमण कर तीर्थ पुरोहित समाज ही तीर्थ यात्रियों को केदारनाथ धाम आगमन का आमंत्रण भी देते हैं, किंतु बिना तीर्थ पुरोहित समाज तथा स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए हुए श्राइन बोर्ड का गठन और बिल पास करना कहीं ना कहीं सरकार की विकास विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित लक्ष्मीनारायण जुगरान ने कहा कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में कितनी कमियां है, यह वहां जाने के बाद ही पता चलता है, हर काम सरकार और प्रशासन संचालित करेगी, उन्होंने कहा कि बद्री केदार मंदिर समिति के नाम में ही असीम आस्था और अध्यात्म छुपा हुआ है ,लेकिन श्राइन बोर्ड न केवल सरकार की सोच को दर्शाता है बल्कि स्थानीय हक हकूक धारियों के विकास में अभी बाधा पैदा करेगा ,उन्होंने कहा कि आगामी 4 दिसंबर को सैकड़ों की तादाद में स्थानीय हक हकदारी देहरादून कूच करके विधानसभा का घेराव करेंगे साथ ही श्राइन बोर्ड गठन के दूरगामी परिणामों से भी सरकार को अवगत कराया जाएगा । उन्होंने स्पष्ट किया कि इससे पूर्व प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीर्थ पुरोहित समाज को आश्वासन दिया था, कि बिना उन्हें विश्वास में लिए हुए इस तरह का कोई भी कदम नहीं उठाए जाएगा लेकिन विधानसभा में चार धाम शाइन बोर्ड का बिल पास करके स्थानीय हक हकूकधारी समाज के हक को छीनने का प्रयास किया है, जो कदापि सहन नहीं होगा। इस मौके पर कुबेरनाथ पोस्ती, महेश बगवाड़ी, राजकुमार तिवाड़ी, बिपिन सेमवाल, महेश शुक्ला, जगदीश शुक्ला, गणेश, अंकुर सहित बड़ी संख्या में तीर्थपुरोहित शामिल थे।