नई दिल्ली। देश में स्वदेशी हथियार प्रणाली विकसित करने में मदद करने के लिए निजी क्षेत्र के उद्योगों को बराबरी के अवसर उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है। पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने देश के पहले सीडीएस स्व. जनरल बिपिन रावत की 64वीं जयंती के अवसर पर दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर सभागार में हिल-मेल फाउंडेशन की ओर से आयोजित ‘जनरल बिपिन रावत मैमोरियल लेक्चर’ में मुख्य वक्ता के तौर पर यह बात कही।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘जनरल रावत आत्मनिर्भरता के सबसे बड़े हिमायती थी। वह अक्सर कहा करते थे कि युद्ध के समय हम स्वदेशी हथियारों के दम पर ही जीत सकते हैं। उनका इस बात पर जोर रहता कि देश में स्वदेशी हथियार प्रणाली का उत्पादन बढ़ाने के लिए निजी सेक्टर की इकाइयों को बराबरी का मौका उपलब्ध कराना होगा।’
पूर्व वायु सेना प्रमुख ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य के लिए अपने लक्ष्यों को परिभाषित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से, सबसे अहम यह समझना है कि हम वास्तव में चाहते क्या हैं और हमें क्या लक्ष्य रखना चाहिए तभी हम यह परिभाषित करने में सक्षम हो सकेंगे कि आत्मानिर्भरता हासिल करने के लिए क्या जरूरी है।
पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आज कोई ऐसा होगा जो आत्मानिर्भरता की जरूरत और महत्व से सहमत नहीं होगा, लेकिन जहां तक रक्षा क्षेत्र का संबंध है तो हम आत्मानिर्भरता से क्या चाहते हैं, हमें यह परिभाषित करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि संपूर्ण डिजाइन और विकास करने की क्षमता, आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारा अगला चरण होना चाहिए।
पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने कहा, उन सभी क्षेत्रों में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है, जो प्रौद्योगिकी के मामले में अहम हैं और सभी क्षेत्र, जो खास हैं। जब हम आगे बढ़ते हैं तो सबकुछ अपने दम पर करने की क्षमता महत्वपूर्ण है। आपने हमेशा एक उपकरण डिजाइन किया है लेकिन कुछ उत्पादों का आयात किया है.. आपकी जानकारी के बिना कोई चिप काम नहीं कर सकती है। अगर हमने इसे हासिल कर लिया है, तो निश्चित हमने उपकरण और डिजाइन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम उठाया है।
उन्होंने कहा, ‘टेस्टिंग हो या सर्टिफिकेशन, हमें जो भी हासिल करना है, उसे लक्षित करने की आवश्यकता है। टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन में किसी भी तरह के हितों के टकराव को दूर करना महत्वपूर्ण है। हमें अपने टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन एजेंसियों को राष्ट्रीय संपत्ति के तौर पर देखने की जरूरत है। उन्होंने सॉफ्टवेयर और साइबरस्पेस के क्षेत्र में भारतीय नेतृत्व को बढ़ावा देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में भारत वैश्विक लीडर बन सकता है।
इस कार्यक्रम में कई मौजूदा और पूर्व सैन्य अधिकारियों के अलावा सीडीएस जनरल बिपिन रावत के परिजन और सहयोगी शामिल हुए। इस अवसर पर एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (रिटा.) को सीडीएस जनरल रावत के मामा कर्नल सत्यपाल परमार (रिटा.) की ओर से हिल रत्न से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सीडीएस जनरल रावत के भाई कर्नल विजय सिंह रावत (रिटा.) भी मौजूद रहे।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत का रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण में भी एक बड़ा योगदान था। पिछले पांच-छह साल से थलसेना, वायुसेना और नौसेना में स्वदेशी हथियारों को ही तरजीह दी जा रही थी, तो इसका एक बड़ा श्रेय जनरल रावत को जाता है। अगर विदेशी हथियार और सैन्य साजो-सामान खरीद भी रहे थे तो उसे मेक इन इंडिया के तहत देश में ही निर्माण करने की कोशिश रहती थी। यही कारण था कि थलसेना स्वदेशी अर्जुन टैंक लेने को तैयार हुई और वायुसेना ने एलसीएच अटैक हेलीकॉप्टर लेने को हामी भरी थी। जनरल बिपिन रावत रक्षा क्षेत्र में सुधारों के लिए हमेशा जाने जाते रहेंगे।
इस अवसर पर हिल-मेल फाउंडेशन की संस्थापक चेतना नेगी ने बताया कि सीडीएस जनरल रावत का हमेशा इस बात पर जोर रहा कि भारत को हथियारों के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर होना चाहिए। यही वजह है कि उनकी स्मृति में फाउंडेशन की ओर से मैमोरियल लेक्चर की शुरुआत की गई है। आने वाले वर्षों में भी दिवंगत सीडीएस जनरल रावत की सोच से जुड़े विषयों पर लेक्चर आयोजित किए जाएंगे।
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