देहरादून (संवाददाता)। समाजसेवी सुभाष शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि स्थानांतरण एक्ट के तहत वह सबसे पहले अपनी पत्नी को सस्पेंड करें, जो पिछले 22 सालों से लगातार सुगम में कार्य कर रही हैं। वे अपने आवास से मात्र एक किमी की दूरी पर तैनात हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सुनीता रावत इंटर पास भी नहीं हैं, लेकिन 1992 से वे लगातार शिक्षा के क्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा कि नियम सबके लिए एक समान ही होने चाहिएं। उत्तरा पंत बहुगुणा के साथ अन्याय किया जा रहा है तथा शीघ्र ही उनका निलंबन वापस लिया जाना चाहिए। परेड ग्राउंड स्थित प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का ने जो महिला शिक्षिका के लिए यह तानाशाही आदेश जारी किया उसकी जितनी निंदा की जाये वह कम और प्रदेश के मुख्यमंत्री को महिला शिक्षिका से माफी मांगनी चाहिए। उनका कहना है कि प्रदेश में इस प्रकार की यह पहली घटना है। प्रदेश के मुखिया ने नारी शक्ति का अपमान किया है, जिसे किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि प्रदेश के मुखिया ही स्थानांतरण एक्ट की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अब वे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं और मंत्रियों एवं विधायकों के परिजनों के संबंध में पूरी तरह से जानकारी हासिल की जाएगी और मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता रावत प्रकरण में सूचना के अधिकार के मामले में मांगी गई सूचना के बिंदु तीन का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है, जिसमें उनकी पत्नी की शिक्षा दीक्षा का उल्लेख है। उनका कहना है कि इस मामले में शीघ्र ही सुनीता रावत के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि उत्तरा पंत बहुगुणा का निलंबन तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
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