नई दिल्ली। भारतीय रेलवे (Indian Railway) के स्टॉक में पड़े कोच अब निजी कंपनियां खरीद सकेंगी। रेलवे की ओर से जारी बयान के मुताबिक कोचिंग स्टॉक और बेयर शेल्स को लीज पर देने की योजना बनाई गई है। बेयर शेल्स वो कोच होते हैं जो किसी वजह से उपयोग में नहीं हैं। आमतौर पर कम उपयोगिता को देखते हुए रेलवे बेयर शेल्स कोच को कबाड़ में बेचती है। वहीं, कई ऐसे भी कोच होते हैं जो सही तो हैं लेकिन स्टॉक में पड़े हैं। अब ऐसे कोचेज का इस्तेमाल हो सकेगा। इस कवायद का मकसद पर्यटन क्षेत्र की क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करना है। भारतीय रेलवे (Indian Railway) पर्यटन क्षेत्र के पेशेवरों की दक्षता का लाभ उठाने के लिए भी यह पहल कर रहा है। भारतीय रेलवे का मकसद विपणन, आतिथ्य क्षेत्र, ग्राहक के साथ संपर्क, पर्यटन सर्किटों का विकास आदि जैसी पर्यटन गतिविधियों में पर्यटन क्षेत्र के पेशेवरों की क्षमता का फायदा उठाना है। रेलवे की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि इच्छुक कंपनियों को रेल कोच पट्टे पर दिए जाएंगे ताकि वे थीम आधारित पर्यटक सर्किट ट्रेन के रूप में इनका संचालन करें। वहीं सूत्रों का कहना है कि योजना के मुताबिक निजी कंपनी को कम से कम 16 कोचों वाली ट्रेन पट्टे पर लेनी होगी या खरीदनी होगी। यह कवायद ऐसे समय हो रही है जब रेलवे निजी ट्रेनों के संचालन के लिए निजी कंपनियों को लाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि कारपोरेट क्षेत्र ने अभी इसमें कम दिलचस्पी दिखाई है। जारी बयान के मुताबिक इस योजना में निजी कंपनियों को कोचों में मामूली सुधार की भी इजाजत दी जाएगी। रेल कोच को कम से कम पांच वर्षों के लिए पट्टे पर लिया जा सकता है। इसे आगे कोचों की कोडल लाइफ यानी इसके संचालन की उम्र तक बढ़ाया जा सकेगा। रेलवे की योजना के मुताबिक कोच को लीज पर लेने वाली कंपनी ही मार्ग, यात्रा कार्यक्रम, शुल्क आदि का निर्धारण करेगी।

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