कासगंज का चंदन ग्रहण
पल भर की खता नहीं
हुक्मरानों की दषकों पुरानी कथा है
कष्मीर के मुसलमानों को पलकों पर बिठाया
देश के बाकी मुसलमानों पर दिल अपना लुटाया
सरदार पटेल की दूरगामी सोच पर अहंकार दिखाया
एक खास राजनीतिक दल ने जात-पात का भेद खूब बढ़ाया
तख्त पर काबिज रहने को गिरगिट का रंग दिखाया
बापू की अव्यवहारिक मुसलमान नीति पर वोट का चर्खा चलाया
हिन्दू-मुसलमान को बराबर मानकर शासन नहीं चलाया
बराबरी का पाठ कभी गलती से भी नहीं पढ़ाया
हिन्दू को डंडा दिखाकर कानून का पाठ पढ़ाया
मुसलमान को कहा तुम शरीयत पर अड़े रहो भाया।
अब गुनाहों का ठीकरा भाजपा-आर एस एस पर फोड़ रहे हो
अपने देशद्रोही आचरण पर दूसरों को दोष दे रहे हो
कासगंज में एक मुसलमान के दुस्साहस को हल्का तोल रहे हो
उसने चंदन के साथ-साथ तिरंगे को दुतकारा है
अरे खैर मनाओ वहाँ योगी सा लायक मुख्यमंत्री हमारा है
वर्ना वहाँ जलजला आ जाता कासगंज धुएँ से ढक जाता।
virendra dev gaur
chief editor