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राहत की खबरः उत्तराखंड को मिली ऑक्सीजन की पहली खेप, दून पहुंची ऑक्सीजन एक्सप्रेस

-रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खुद ट्वीट कर दी उत्तराखंड को ऑक्सीजन मिलने की जानकारी

-छह कंटेनर में 120 मीट्रिक टन प्राणवायु लेकर मंगलवार रात हर्रावाला स्टेशन पहुंची ट्रेन 

देहरादूनः उत्तराखंड को ऑक्सीजन की पहली खेप मिल गई है। मंगलवार रात 120 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के साथ देहरादून के हर्रावाला रेलवे स्टेशन पर ऑक्सीजन एक्सप्रेस पहुंची। इस ट्रेन में छह कंटेनर हैं, जिनमें चार उत्तराखंड के लिए हैं और इनमें 70 मीट्रिक टन ऑक्सीजन है। दो अन्य कंटेनरों को पंजाब भेजा जाना हैं उधर, उत्तराखंड को ऑक्सीजन मिलने की जानकारी खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर दी। वहीं राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने रेल मंत्री का आभार व्यक्त किया है।

रेल अधिकारियों के अनुसार, यह टेªन झारखंड के टाटानगर से चली थी। मंगलवार रात नौ बजकर 28 मिनट पर यह ट्रेन देहरादून के हर्रावाला रेलवे स्टेशन पहुंची। बुधवार को इस ऑक्सीजन को राज्य के अधिकारियों के सुपुर्द किया जाएगा। वहीं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सुबह हर्रावाला पहुंचकर ट्रेन का स्वागत करेंगे। मुरादाबाद मंडल के सीनियर डीसीएम मोनू लूथरा ने बताया कि उत्तराखंड के लिए ऑक्सीजन की पहली खेप लेकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस हार्रावाला स्टेशन पहुंच गई है।
उत्तराखंड में भले ही इस समय प्रतिदिन 300 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन तैयार हो रही है, लेकिन इसके बावजूद राज्य को ऑक्सीजन सप्लाई के लिए दूसरे राज्यों की ओर देखना पड़ रहा हें इसका कारण यह है कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के लिए ऑक्सीजन को कोटा तय कर दिया है। ऐसे में यहां तैयार हो रही ऑक्सीजन दूसरे राज्यों को जा रही है और उत्तराखंड को अन्य राज्यों से ऑक्सीजन लेनी पड़ रही है। उत्तराखंड में इस समय बड़ी संख्या में मरीज ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड और आइसीयू में भर्ती हैैं। ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड में 10 लीटर प्रति मिनट और आइसीयू बेड में 24 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से सप्लाई होनी चाहिए। अभी प्रदेश में 5500 औक्सीजन सपोर्टेड बेड, 1390 आइसीयू और 876 वेंटिलेटर हैं। इनके हिसाब से उत्तराखंड को प्रतिदिन 166.18 मीट्रिक टन ऑक्सीजन चाहिए। कुल उपलब्ध बेड के सापेक्ष अभी जो बेड भरे हैं, उसके लिए प्रतिदिन 130 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। प्रदेश के पास अभी 126 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है। इसके अलावा अस्पतालों में लगे ऑक्सीजन प्लांट से पांच मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिल रही है, जिससे मौजूदा जरूरत पूरी हो रही है। उत्तराखंड के लिए केेंद्र सरकार ने 183 मीट्रिक टन का कोटा तय किया हुआ है।

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