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INDIAN ARMY

पांच दिन में ढेर हुए 11 आतंकी

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नई दिल्ली । कश्मीर में स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) को किडनैप करने और उन्हें मारकर जवानों का हौसला तोडऩे के आतंकियों के मंसूबे नाकाम होते दिख रहे हैं। आतंकियों ने शुक्रवार को तीन एसपीओ की हत्या की जिसके पांच दिन के भीतर ही सुरक्षाबलों ने 11 आतंकियों को मार गिराया। आतंकियों की कोशिश थी कि वह लोगों को डराकर इन्फॉर्मेशन फ्लो रोक लेंगे जिससे उनका सफाया रुक जाएगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
20 दिन में 16, अब 5 दिन में 11 आतंकी किए ढेर
सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने पहले एक विडियो के जरिए लोगों को डराने की कोशिश की जिसमें कहा गया कि सुरक्षा एजेंसियों में तैनात कश्मीर के लोग इस्तीफा दे दें और उसके बाद तीन एसपीओ को किडनैप कर उनकी हत्या कर दी। आतंकी इस कोशिश में थे कि इसके जरिए वह खुद को बचा सकते हैं और लोग डरकर सुरक्षा एजेंसियों तक आतंकियों की सूचनाएं नहीं पहुंचाएंगे। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक ऐसा लग भी रहा था कि कहीं एसपीओ की हत्या करने से इन्फॉर्मेशन फ्लो कम न हो जाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में करीब 30 हजार एसपीओ हैं और इस्तीफा देने के एक दो केस तराल और पुलवामा में हुए हैं लेकिन यह महज अपवाद है। अब भी सूचनाएं आनी जारी हैं और लगातार आतंकियों को निशाना बनाया जा रहा है। स्पेशल पुलिस ऑफिसर दरअसल घाटी के ही लोग होते हैं और वह सूचनाएं एकत्र करने का काम करते हैं जो सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों को घेरने और मार गिराने में सहायक होती हैं। 21 सितंबर को आतंकियों ने तीन एसपीओ की हत्या की थी लेकिन उसी दिन सुरक्षा बलों ने 3 आतंकी भी मार गिराए। रविवार को तराल में 3 आतंकियों का सफाया किया और 2 आतंकी तंगधार में घुसपैठ करते मारे गए। सोमवार को घुसपैठ कर रहे 3 आतंकियों का सफाया किया तो मंगलवार को सोपोर में 2 आतंकियों मारे गए। इसमें एक लश्कर का टॉप कमांडर था। 1 सितंबर से 20 सितंबर तक जहां 16 आतंकी मारे गए थे वहीं शुक्रवार से मंगलवार तक महज पांच दिनों में 11 आतंकियों का सफाया हुआ।
अगस्त में कम लोग गए आतंक की राह पर
इस वक्त घाटी में करीब 20-30 आतंकियों के सक्रिय होने की जानकारी है। हालांकि, अगस्त के महीने में कम लोगों ने आतंक की राह पकड़ी। सूत्रों के मुताबिक इस साल मई में कश्मीर के 31 युवा आतंकियों के साथ शामिल हुए तो जून और जुलाई में 20 युवा भटके हैं। अगस्त में 11 युवा आतंक की राह पर गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों की कोशिश है कि मौजूदा आतंकियों का सफाया तो किया ही जाए साथ ही नए आतंकी पैदा होने से भी रोके जाएं।

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