नई दिल्ली: इस साल गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर कई विभूतियों को पद्म पुरसकार से सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले दिवंगत साहित्यकार राधेश्याम खेमका को सरकार ने मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा है। वहीं कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए माहराष्ट्र की प्रभा अन्ने को भी पद्म विभूषण दिया गया है। जबकि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य जैसे राजनीकि नेताओं के साथ-साथ गूगल के सीइओ सुंदर पिचाई और माइक्रोसाफ्ट के सत्य नडेला, भारत बायोटेक के कृष्णा एल्ला और सुचित्रा एल्ला समेत कइयों को पद्म भूषण देने का फैसला हुआ है। कुल मिलाकर चार लोगों को पद्म विभूषण, 17 को पद्म भूषण और 107 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। हालांकि बुद्धदेव भट्टाचार्य ने एक पद्मभूषण सम्मान ठुकरा दिया है। उनके द्वारा सम्मान ठुकराने पर इंटरनेट मीडिया पर तरह-तरह प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत को पद्म विभूषण के अलावा डा0 माधुरी बड़थ्वाल को कला, वंदना कटारिया को खेल व बसंती देवी को समाज सेवा के क्षेत्र में पद्म श्री सम्मान प्रदान किया गया है।
मंगलवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा हुई। राजनीति, कला, खेल, साहित्य व अन्य क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वालों को सम्मानित किया गया। जाहिर तौर पर कुछ नामों को वर्तमान राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। कल्याण सिंह न सिर्फ भाजपा के बड़े नेता थे बल्कि वह पिछड़े समाज थे। उत्तर प्रदेश के चुनाव में फिलहाल हर दल की नजर पिछड़ों पर हैं जनरल रावत उत्तराखंड से आते थे और उनके निधन के तत्काल बाद ही वहां राजनीतिक दलों में सहानुभूति लूटने की होड़ मची थी। कुछ ही दिन पहले रावत के भाई भाजपा में शामिल हुए हैं। राधेश्याम खेमका की कर्मभूमि उप्र रही है और गीता प्रेस व कल्याण पत्रिका से जुड़े होने के करण उनकी बड़ी प्रतिष्ठा रही है।
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