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रवीश भाई ज़रा सोचो

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जब प्यासे को प्यास लगी हो
तब तुम खाना दोगे क्या
जब भूखे को भूख लगी हो
तुम पानी बौछारोगे क्या।
हिन्दू-मुुसलमान का कोहराम मचाकर
जिन्ना ने देश तोड़ा
तुम जैसे रोक पाए क्या,
देश तोड़ने से ठीक पहले
नेहरू जी को दबाव में लाने को
तत्कालीन बंगाल में जिन्ना ने
वहाँ के मुसलमान मुख्यमंत्री से मिलकर
मुसलमान बाहुल्य प्रदेश में
असंख्य हिन्दू औरतों पर बलात्कार बरपाया
तुम जैसे रोक पाए क्या,
फारुक अब्दुल्ला के बाप शेख अब्दुल्ला ने
भावुक-और रुहानी नेहरू को
छलावे में रखकर
धारा 370 और 35-A कश्मीर पर
लागू करवाकर टू नेशन थ्योरी को
कश्मीर में बोया अब फसल तैयार है
तुम जैसे रोक पाओगे इस जिहाद को क्या।
भारत माता की जय बोलने में
अपनी तौहीन समझने वाले जिहादी मुसलमान
हर तरह के हथकंडे इस्तेमाल कर
भारत का इस्लामीकरण करने में जुटे हैं दिन रात
तुम यह षड्यंत्र समझ पा रहे हो क्या।
रवीश भाई ज़रा सोचो
तुम बढ़िया मुद्दे हाईलाइट करते समय
हिन्दू-मुसलमान न करने की राय देते हो
किन्तु तीन-तलाक की सामाजिक बुराई पर
खामोशी की चादर ओढ़ लेते हो
तुम्हारा यह पे-पेंदी का राग
कम्यूनिस्टो से मेल खाता है
जिनका कायदे से कोई उसूल नहीं
जो लोकतंत्र के विरोधी हैं
और बात करते हैं हँसिया,हथोड़ी की।
रवीश भाई सच को
अपने चश्मों से मत देखो
दिल्ली में लोकतंत्र का तख्ता पलट होने को है
किन्तु तुम टीवी पर मुस्कुरा रहे हो।
देखो रवीश जी
सच और सच्चाई में
सुविधा और दुविधा का करना पड़ता है त्याग
तुम जानी इतिहास-भूगोल में बहुत कमजोर हो।

              Virendra Dev Gaur

             Chief editor (NWN)


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