चेन्नई। मद्रास हाई कोर्ट ने शनिवार को कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं कि नई सरकारें पहले की सरकारों द्वारा शुरू की गईं कल्याणकारी नीतियों तक बदल देती हैं, लेकिन शराब नीति को हाथ तक नहीं लगाती। तमिलनाडु में पिछले कई दशक से आबकारी नीति नहीं बदली है। जस्टिस आर सुरेश कुमार ने कहा तमिलनाडु में कई दशकों तक भले ही किसी भी दल की सरकारें बनी हों कुछ क्षेत्रों में पिछली सरकारों की नीतियों को नहीं बदलती। भले ही इनमें से कुछ नीतियां जनता और समाज के लिए हानिकारक ही क्यों न हो। ऐसी ही नीतियों में आबकारी नीति भी एक है। उनकी नजर शराब की बिक्री से सरकारी खजाने को होने वाली कमाई पर होती है। जस्टिस कुमार ने आगे कहा, ‘उदाहरण के तौर पर यह अदालत आबकारी नीति को इंगित कर सकती है। पिछले पांच दशकों से कई सरकारें आईं गईं लेकिन आबकारी नीति वही बनी रही। इसके तहत राज्य लाइसेंस के जरिये या सरकारी एजेंसी के जरिये लोगों को बहुत ही आसानी से सुविधा जनक स्थान पर शराब उपलब्ध कराती है।’ जस्टिस कुमार ने यह टिप्पणी करते हुए जी. सेंद्रयन नामक व्यक्ति की तरफ से दायर दो रिट याचिकाएं खारिज कर दी।
