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बैंकों की हड़ताल से कामकाज प्रभावित

देहरादून (संवाददाता)। देशभर में केन्द्र सरकार की जन विरोधी एवं श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल की गई और राजधानी व आसपास के क्षेत्रों में हड़ताल का व्यापक असर दिखाई दिया। बैंकों में हड़ताल के चलते हुए पांच सौ करोड़ रूपयों का कामकाज प्रभावित रहा और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन्स समन्वय समिति एवं उत्तरांचल बैंक इम्पलाईज यूनियन के बैनर तले विभिन्न बैकों के अधिकारी व कर्मचारी अनेकांत पैलेस स्थित कैनरा बैंक के परिसर में इकटठा हुए और वहां से केन्द्र सरकार के खिलाफ रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज किया।
रैली अनेकांत पैलेस से आरंभ होकर राजपुर रोड़, एस्ले हॉल चैक, गांधी पार्क में पहुंची और जहां पर एक सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि लगातार केन्द्र की राजग सरकार मजदूर एवं जन विरोधी निर्णय ले रही है और जिसका पुरजोर विरोध किया जायेगा। उन्होंने हा कि केन्द्र सरकार जबसे सत्ता में आई है श्रम कानूनों में लगातार ऐसे संशोधन किये जा रहे है जिनसे मजदूर वर्ग से वह सभी अधिकार छीन रहे है। वक्ताओं ने कहा कि बैकों के 86 प्रतिशत कारपोरेट घरानों पर एनपीए है और उसे वापस नहीं दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार को ऐसे कारपोरेट घरानों पर भी कार्यवाही करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा साजिशन व निरंकुश तरीके से देश के सबसे बडे मजदूर संगठन इंटक को अंतर्राष्ट्रीय मंच समेत सभी त्रिपक्षीय व द्विपक्षीय कमेटियों से वंचित किया जा रहा है इससे ओर आगे बढककर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के अधिसूचित उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों का न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण हेतु गठित न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड के श्रम संघों से मात्र भारतीय मजदूर संघ को ही शामिल किया गय है तथा एटक, इंटक तथा सीटू जैसे श्रम संघों को हाहर का रास्ता दिखा दिया गया है जो चिंता का विषय है और लगातार प्रदेश सरकार भी दोहरा मापदंड अपना रही है जिसे किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मजदूर विरोध निरंकुश चरित्र तब ओर अधिक बढ़ रहे है वह समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं मिल पा रहा है और 15वें श्रम सम्मेलन तथा सर्वोच्च न्यायालय के अदेशों के मानदंडों के अनुसार न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण, आंगनवाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्क आदि स्कीम कर्मियों, मनरेगा मजदूरों, घरेलू श्रमिकों आदि समस्याओं पर किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि लगातार केन्द्र व प्रदेश सरकार जन विरोधी निर्णय ले रही है जिसका पुरजोर तरीके से विरोध किया जायेगा और जरूरत पड़ी तो अनिश्चितकालीन आंदोलन की भी शुरूआत की जायेगी और इसके लिए रणनीति तैयार की जायेगी। इस अवसर पर इंटक के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट, बैंक यूनियन के संयोजक जगमोहन मेंदीरत्ता, समर भंडारी, ए पी अमोली, बीरेन्द्र भंडारी, अशोक शर्मा, ओ पी सूदी, देवेन्द्र सिंह रावत, धीरज भंडारी, वीरेन्द्र सिंह नेगी सहित अनेक श्रमिक नेता शामिल थे। वहीं आयकर विभाग, बिजली कर्मियों, डाक विभाग सहित अनेक केन्द्रीय कार्यालयों में हड़ताल का व्यापक असर दिखाई दिया।

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