दीप्ति नेगी
देहरादून:-*कदम अक्सर मुश्किलों में साथ छोड़ देते है ,पर मजबूत हौसले उन टूटते कदमों में भी जान भर देते है
कुछ ऐसा ही वाक्या सही साबित हुआ है दिल्ली के 27 वर्षीय युवा मैकेनिकल इंजीनियर आशीष शर्मा के साथ। पिछले साल जब उन्होने समाज में फैली बाल भिक्षावृति को खत्म करने का फैसला लिया और उससे दूर करने के लिए पूरे देशभर में पैदल यात्रा कर सभी को भिक्षावृति रोकने के लिए जागरूक करने के अपने फैसले को अपने घर वालो को बताया तो घरवालो और दोस्तों ने उस समय उसे बेवकूफी भरा कदम बताते हुए आशीष को मना किया पर उनके हौसलों ने उन्हें उनके लक्ष्य से डगमगाने नहीं दिया और आज वह समाज के हर वर्ग को समाज में कुरीति के तौर पर फैली भिक्षावृति की खिलाफ विभिन्न राज्यों में पैदल मार्च कर जागरूकता फैला रहे है और अपनी इस सराहनीय मुहीम में कई राज्यों के युवाओं को जोड़ चुके है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर दिल्ली निवासी आशीष को लाखों का पैकेज ऑफर किया गया था पर उन्होंने सड़को पर बच्चों को भीख देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि भिक्षावृति एक ऐसी बीमारी है जो तब तक खत्म नहीं होगी जब तक हम खुद उससे नहीं रोकते। भीख मांगना तब तक खत्म नहीं होगा जब तक भीख देने वाला भीख देना बंद नहीं करेगा। और तब ही से उन्होंने फैसला किया की वह न सिर्फ खुद से बल्कि देश भर के अन्य लोगों को भिक्षावृति रोकने के लिए जागरूक करेंगे और इसी अलख ने उन्हें पैदल मार्च की तरफ मोड़ दिया। इसी सोच के चलते उन्होंने दुआएं फाउंडेशन की स्थापना की और इसी दुआएं फाउंडेशन के तले उन्होंने उन्मुक्त इंडिया कैंपेन की शुरुआत की है जिसके तहत जून 2018 को देश भर के 29 राज्यों , 7 केंद्र शासित राज्यों व 4900 गांवों में यात्रा पूरी कर सभी को भिक्षावृति के खिलाफ खड़ा कर उनके द्वारा उन्मुक्त दिवस मनाया जाना है। अगस्त 2017 में जम्मू कश्मीर से अपने OneGoOneImpact कैंपेन के तहत यात्रा शुरू करने वाले आशीष शर्मा अभी तक हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान,गोवा, दमन,सिलवासा,महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश तक की यात्रा कर चुके है जिसके प्रथम चरण में वह 4319 किमी का सफ़र तय कर उत्तराखंड के चम्पावत पहुंचे थे। उत्तराखंड से उन्होंने तकरीबन 12600 किमी की पैदल यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत की है। उत्तराखंड में वह चम्पावत , डीडीहाट, मुनस्यारी, बागेश्वर, गंगोली, हरिद्वार, रुड़की, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग आदि स्थानों में यात्रा कर चुके है। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा राज्य के कई स्कूलों व कॉलेजों में जा कर सभी छात्रों सहित शिक्षकों से भीक्षा न देने का प्रण दिलवाया गया है। 26अप्रैल को 5034किमी की पैदल यात्रा कर देहरादून पहुँचे आशीष का देहरादून वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती व अन्य पुलिस अधिकारियों ने स्वागत किया और उनके इस कदम को सराहनीय सोच बताते हुए आगे के सफ़र के लिए प्रेरित किया। दून में मौजूद लोगों ने भी आशीष की इस पहल को सलाम किया है। एक समय महात्मा गांधी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नमक क्रांति कर आम भारतियों को उनका हक़ दिलाया था वही आज के दौर में आशीष शर्मा पैदल मार्च कर देश को बाल भीक्षावृति से दूर करने के लिए सभी में अलख जगा रहे है।
मोबाइल एप्प भी डेवेलप कर रहे आशीष:-भिक्षावृति को जड़ से खत्म करने के लिए आशीष एक मोबाईल एप्प भी डेवेलोप कर रहे है जिसके जरिये कोई भी 5 किमी के। दायरे में भीख मांग रहे बच्चों को देख उसकी जानकारी आसपास के पुलिस अधिकारी व अनाथालय को दे सकता है जिससे वह उस बच्चे की मदद कर सके।
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