
देहरादून (संवाददाता)। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के धार्मिक स्थल एक दूसरे से सड़क मार्ग से जुड़ जायेंगे। इसके लिए उत्तराखंड व हिमाचल पथ परिवहन निगम के बीच पूर्व में हुआ बसों के करार में संशोधन की तैयारी चल रही है। इसके बाद दोनों राज्यों के पर्यटन और धार्मिक-स्थलों के बीच बसों का संचालन बढ़ जाएगा। उत्तराखंड और हिमाचल परिवहन निगम के बीच तीन साल पहले ही बस समझौता हुआ था। फरवरी-2016 में हुए करार के तहत हिमाचल की बसें उत्तराखंड में कुल 47 रूटों पर 100 बसें संचालित होती हैं, जबकि उत्तराखंड की बसें हिमाचल प्रदेश के 35 रूटों पर 124 फेरे लगाती हैं। इनमें साधारण ही नहीं बल्कि वॉल्वो और डीलक्स बसें भी शामिल हैं। हालांकि, लगभग ढाई वर्ष पूर्व हरिद्वार-मनाली रूट पर वाल्वो के संचालन को लेकर दोनों राज्यों में समझौते का उल्लंघन होने की बात भी सामने आई, लेकिन बाद में मामला सुलझा लिया गया। दोनों राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां भी एक जैसी ही हैं और दोनों में बड़ी संख्या में धार्मिक-स्थल भी हैं। ऐसे में अब दोनों राज्य इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए बस करार संशोधन की तैयारी कर रहे। दरअसल, उत्तराखंड में न केवल चार धाम हैं बल्कि इसे देवभूमि कहा जाता है, जबकि हिमाचल में देवियों के कईं प्रसिद्ध मंदिर व शक्तिपीठ हैं। श्रद्धालुओं का दबाव दोनों ही राज्यों में अच्छा-खासा रहता है। ऐसे में बसों की संख्या और नए रूट बढऩे से श्रद्धालुओं को आवागमन में सहूलियत रहेगी। साथ ही परिवहन निगम को सालाना घाटे से उबरने में भी मदद मिलेगी। बताया जा रहा कि पहले चरण में हिमाचल अपनी सीधी बस सेवा को ऋषिकेश व मसूरी के लिए अपने प्रमुख स्थानों से चलाएगा और उसके बाद पर्यटन सीजन में धार्मिक स्थल तक बसें चलाएगा। इसी तरह उत्तराखंड भी हिमाचल के प्रमुख पर्यटन व धार्मिक स्थल पर बस संचालन के रूट तैयार कर रहा है। उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि हिमाचल परिवहन निगम की ओर से इस तरह का प्रस्ताव भेजा गया है। आम चुनाव के बाद इस पर शासन स्तर पर मंथन किया जाएगा। अगर परिवहन प्राधिकरण से मंजूरी मिलती है तो उत्तराखंड परिवहन निगम भी हिमाचल के धार्मिक स्थलों के लिए बसें संचालित करेगा। दिल्ली, चंडीगढ़, अंबाला, सहारनपुर, फरीदाबाद, गुडग़ांव, जयपुर आदि शहरों तक सीमित उत्तराखंड परिवहन की साधारण बसें जल्द ही नए रूटों पर भी दौड़ती मिलेंगी। इनमें हिसार, करनाल, जोधपुर, बालाजी, मनाली, पानीपत आदि शामिल हैं। दरअसल, अभी तक निगम के पास नया बस बेड़ा नहीं था, लिहाजा नए रूटों से परहेज किया जा रहा था। नया बस बेड़ा जल्द मिलने वाला है। ऐसे में निगम ने उन रूटों पर बस संचालन की तैयारी शुरू कर दी है, जहां अभी तक निगम की सीधी बस सेवा नहीं जाती। उत्तराखंड रोडवेज की बसें अपने पड़ोसी राज्यों के सभी शहरों में भी संचालित नहीं होती। खासतौर से लंबी दूरी के अधिकतर मार्ग ऐसे हैं, जहां से उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से सीधी बस संचालित नहीं की जा रही। दो साल पहले भी इस पर कसरत तो हुई थी लेकिन खराब बस बेड़ा और राज्य परिवहन प्राधिकरण से अनुमति नहीं मिलने के कारण योजना परवान नहीं चढ़ सकी। प्रदेश के ज्यादातर शहरों से सर्वाधिक बसें दिल्ली रूट पर संचालित हो रही। हरियाणा व राजस्थान समेत उत्तर प्रदेश के कई ऐसे रूट हैं, जहां लंबे समय से बस संचालन की मांग उठती रही है। हिसार, पानीपत, बालाजी, जोधपुर और करनाल आदि ऐसे शहर हैं, जहां उत्तराखंड से दूसरे राज्यों की बसें संचालित होती हैं, लेकिन उत्तराखंड रोडवेज की बसें नहीं जा रहीं। बालाजी के लिए तीन साल पूर्व दून और हरिद्वार से बस सेवा संचालित की गई थी लेकिन इसका रूट अलीगढ़ होकर था, जो यात्रियों को रास नहीं आया। यात्रियों ने इसे वाया दिल्ली-अलवर होते हुए चलाने की मांग की लेकिन परिवहन निगम ने रूट बदलने के बजाए बस सेवा ही बंद कर दी। अब चूंकि, 300 नई बसें आने वाली हैं। ऐसे में निगम इन बसों में से कुछ को नए रूट पर चलाने के मूड में है। महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन ने बताया कि नए रूटों को लेकर कसरत की जा रही है। दूसरे राज्यों के साथ समझौते का अनुपालन भी करना होता है। परिवहन निगम कोशिश कर रहा है कि कुछ शहरों के लिए साधारण बसों की सीधी सेवा को शुरू किया जा सके। अभी और नई बसें आनी हैं। इसके आधार पर रूटवार प्लान तैयार किया जाएगा।