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अर्नब बोले भगवा पर आतंक, सच है दावा कब मारोगे इस षडयंत्र पर डंक

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झुग्गीवाले की पुकार, धर्मांतरण बंद हो सरकार

मेरे राष्ट्र में मचा हुआ जो ये कोहराम है
लग रहा ऐसा क्यों मुझे कि भारतीय का जीना हराम है
कोरोना के संकट में भी बज रहा अलार्म है
ऐ हिन्दू अपने ही देश में तू क्या किसी का गुलाम है
ऐसा नहीं है अगर तो फिर भगवा की खतरे में क्यों जान है
क्यों सनातन संस्कृति को पूजने वाला यहाँ हैरान है
विश्व में वेदों और उपनिषदों से पहले क्या किसी के पास कोई ठोस पहचान है
क्यों गीता और रामायण वालो की फिर आफत में यहाँ जान है
हिन्दुओं को मारकर कभी बहलाकर कभी फुसलाकर और कभी डराकर
ईसाईकरण का दो हजार साल पुराना हैवानियत का खेल कब तक चलेगा
कब तक दुनिया भर में औरंगजेब का इस्लामीकरण वाला जिहाद रहेगा
आईएस आईएस वाला गोला-बारूदी जिहाद कब तक जिंदा रहेगा
पन्द्रह सौ सालों का गजवा-ए-हिन्द कब तक बरपा रहेगा
कब तक बुतपरस्तों पर बुत-शिकनों का दबदबा रहेगा
अरे! इतिहास में जितना छिपाओगे इतिहास का धुँआ उतना ही तेजी से उठेगा
खोजने वाले खोज ही लेंगे सच तो बाहर आकर ही रहेगा
महाराष्ट्र की तिपहिया-सरकार मुझ पर इतना तो रहम कर दो
राम-भक्त शिवाजी महाराज के तमाम प्रतीकों को दफ्तरों से बाहर कर दो
शिवाजी महाराज के पावन प्रतीकों को तुम्हारे बगल में देखकर दम घुटता है
राम के आदर्शों पर चलने वाले शिवा का घोर अपमान होता है
पालघर क्षेत्र में जिन राष्ट्रद्रोही शक्तियों का उत्पात है मचा हुआ
ऐसा ही उत्पात पड़ोसी जिहादिस्तान में हिन्दुओं और ईसाइयों के खिलाफ है बरपा हुआ
जिहादिस्तान तो इस्लामीकरण का जिहाद 72 सालों से है धुँआधार चला रहा
इसीलिए इन जिहादियो ने मेरा भारत तोड़ा और अब भारत के अन्दर वही सब दोहरा रहा
किन्तु भारतीयो तुम्हारी समझ में क्यों नहीं है आ रहा
क्यों तुम अम्भि और जयचन्द जैसा आचरण अपना रहा
क्यों तुम जिहाद को आतंक कहकर जिहाद को मासूम बना रहा
जिहाद के सामने आतंक एक नन्हा बच्चा है
जिहाद लगभग पन्द्रह सौ साल का है जबकि आतंक अभी नौसिखिया है
इसलिए ‘जिहादी-आतंक’ कहना देश के लिए ज़रूरी है
अन्यथा, ऐसी कायरता एक ऐसी मजबूरी है
नक्सली जो देश के अन्दर हैं कर रहे वह विशुद्ध रूप से आतंक है
जबकि पड़ोसी जिहादिस्तान वाला आतंक जिहादी-आतंक है
हमारी इन नादानियों का जिहादिस्तान और देश के अन्दर जिहादी आतंकी भरपूर लाभ हैं उठा रहे
विश्व को जिहादिस्तान हमेशा की तरह जमकर है बरगला रहा
बम-बारूद वाला जिहाद जो आज आईएस आईएस है चला रहा
यही जिहाद धरती पर पन्द्रह सौ साल पुराना है
करीब नौ सौ साल पहले इसी जिहाद का नाम यहूदियों और ईसाइयों ने पहली बार था सुना
जबकि हम हिन्दुओं ने यही नफरत भरा शब्द पन्द्रह सौ साल पहले था सुना
ऐसा नहीं कि यहूदी और ईसाई नहीं हुए इसका बुरी तरह शिकार
किन्तु, हम तो उनसे लगभग पाँच सौ साल पहले से जिहाद का रहे हैं शिकार
पढ़ो इतिहास जरा ध्यान से सब पता चल जाएगा
इतिहास है, इतिहास किसी से छिपाया नहीं जाएगा
निराधार लिबरल बनने की नाटकीय नादानी छोड़ दो
हकीकत के धधक़ते अंगारों से नाता अपना जोड़ लो
पालघर क्षेत्र के हादसे, नहीं हैं केवल हादसे
ये भयानक षड़यन्त्रों की उफनती कड़िया हैं गाँठ बाँध लो याद से
आने वाली पीढ़ियों की खातिर देश को सँभालो धारदार कानूनों और दूरदर्शी संवाद से।
                                  -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।

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