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योग से शारीरिक, बौद्धिक विकास सम्भव : डॉ. भावना

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रुडकी (संवाददाता)। राष्ट्र सेविका समिति उत्तराखंड के प्रशिक्षण वर्ग में चौदह से चालीस आयु वर्ग तक की सेविकाओं को योग, शारीरिक विकास, बौद्धिक विकास आदि की जानकारी दी गई। आनंद स्वरूप आर्य सरस्वती विद्या मंदिर रुड़की में चल रहे शिविर में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के प्रत्येक जनपद से 14 से 40 आयु वर्ग की 176 सेविकाएं प्रतिभाग कर रही हैं। पंद्रह जून तक चलने वाले प्रशिक्षण में निर्धारित दिनचर्या, पाठ्यक्रम और अनुशासन की जानकारी दी जा रही है। प्रांत कार्यवाहिका डॉ. भावना ने बताया कि प्रशिक्षण वर्ग में योग, आसन, खेल, दंड, सूर्य नमस्कार, समता, घोष, आचार पद्धति की मदद से सेविकाओं के शारीरिक, बौद्धिक विकास किया जाता है। बताया कि समिति की स्थापना 1936 में लक्ष्मीबाई केलकर द्वारा की गई थी। देश में समिति की 2500 शाखाओं से लाखों सेविकाएं जुड़ी हुई हैं। देश में 40 पूर्णकालिक परचारिका तथा 70 विस्तारिका राष्ट्र सेविका समिति के प्रचार के प्रवास पर हैं। प्रतिवर्ष प्राथमिक शिक्षा वर्ग, प्रवेशिका वर्ग, प्रबोध वर्ग और प्रवीण वर्ग देश में लगाए जाते हैं। विदेश में हिन्दू सेविका समिति के नाम से 22 देशों में कार्य किया जा रहा है। देश में 44 छात्रावास स्कूल वनवासी महिलाओं के लिए और 175 चिकित्सालय समिति द्वारा चलाए जा रहे हैं। बौद्धिक सत्र को संबोधित करते हुए संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर ने कहा कि देश की आबादी का पचास फीसदी महिलाएं हैं। अगर महिलाएं शिक्षित, संस्कारित और स्वस्थ एवं स्वावलंबी होकर समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगी तो भारत परम वैभव पर पहुंचेगा।

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